हसदेव डुबान में महिला की लाश मिलने से फैली सनसनी, मछली पकड़ने के लिए लगाए गए जाल में फंसी लाश..


हसदेव डुबान में महिला की लाश मिलने से फैली सनसनी, मछली पकड़ने के लिए लगाए गए जाल में फंसी लाश..

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भागवत दीवान, 

कोरबा ब्यूरो आंचलिक न्यूज। हसदेव नदी के डुबान क्षेत्र में मछली पकडऩे के लिए लगाए गए जाल में एक युवती की लाश फंसी मिली। मृतिका की पहचान क्षेत्र में ही रहने वाली लिली राज के रूप में हुई है, जो तमिलनाडु में सिलाई कढ़ाई का काम करती थी। वह छह माह पहले घर में थोड़े दिन रहने के बाद तमिलनाडु जाने निकली थी। मामले को संदिग्ध मानते हुए पुलिस ने जांच पड़ताल शुरू कर दी है।

यह पूरा मामला कोरबी पुलिस चौकी क्षेत्र की है। बताया जा रहा है कि चारपारा के आसपास गांव में रहने वाले ग्रामीण हसदेव नदी के डुबान क्षेत्र में मछली पकडऩे के लिए जाल लगाते हैं। सोमवार की शाम को भी झिनपुरी में रहने वाले शिवकुमार आयम ने मछली पकडऩे के लिए जाल लगाया था। वह मंगलवार की सुबह करीब 8 बजे जाल को निकालने डुबान क्षेत्र में पहुंचा। यहां पहुंचते ही उसके हाथ पांव फुल गए। जाल में मछली की जगह युवती की लाश फंसी थी। शिवकुमार ने उलटे पांव गांव लौटकर घटना की जानकारी सरपंच को दी। सूचना मिलते ही पुलिस चौकी प्रभारी अफसर खान अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने भारी मशक्कत के बाद शव को बाहर निकलते हुए पहचान कार्रवाई शुरू की। इस दौरान फुलसर में रहने वाला दीप सिंह राज कुछ ग्रामीणों के साथ पुलिस चौकी पहुंचा। उसने हुलिया और कपड़े के आधार पर मृतिका की पहचान अपनी 35 वर्षीय पुत्री लिली राज के रूप में की है। उसने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि लिली तमिलनाडु में रहकर सिलाई कढ़ाई का काम करती थी। वह करीब छह माह पहले अप्रैल महीने में घर आई थी। थोड़े दिन घर में रहने के बाद पुन: तमिलनाडु जाने निकली थी। मृतिका तमिलनाडु से कब लौटी इसकी जानकारी परिजनों को भी नहीं है। इस पूरे मामले में कई बातें ऐसी है, जिससे पूरा मामला संदिग्ध प्रतीत हो रहा है। जिसे सुलझाने पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजते हुए तहकीकात शुरू कर दी है।

हसदेव नदी पुल से करीब एक किलो मीटर दूर मछली पकडऩे लगाए गए जाल में युवती की लाश फंसी थी। यह स्थान बहुत ज्यादा गहरा है। जहां नाव अथवा मोटर बोट से ही पहुंचा जा सकता है। इस स्थान से शव बरामद करना पुलिस के लिए चुनौती थी। ऐसे में पुलिस को बांगो से मोटर बोट की व्यवस्था करनी पड़ी, तब कहीं जाकर शाम चार बजे शव बाहर निकाला जा सका।

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