जब श्वांसों की पूंजी समाप्त हो जायेगी तो यमदूत आकर प्राणों की डोरी को तोड़ देते हैं और मनुष्य की मृत्यु हो जाती है.. वीडियो


जब श्वांसों की पूंजी समाप्त हो जायेगी तो यमदूत आकर प्राणों की डोरी को तोड़ देते हैं और मनुष्य की मृत्यु हो जाती है.. वीडियो

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नरेंद्र मिश्रा

बलरामपुर ,ब्यूरो 

आंचलिक न्यूज.com। विख्यात सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के उत्तराधिकारी एवं जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था, मथुरा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूज्य पंकज जी महाराज इस समय अपनी शाकाहार-सदाचार, मद्यनिषेध आध्यात्मिक-वैचारिक जनजागरण यात्रा के साथ छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों पर सत्संग भ्रमण पर हैं।  स्थानीय भाईयों, बहनों ने परम्परागत ढंग से उत्साहपूर्ण स्वागत किया।

यहाँ आयोजित सत्संग समारोह में प्रवचन करते हुये पूज्य पंकज जी महाराज ने,,


‘‘यह तन तुमने दुर्लभ पाया, कोटि जनम जब भटका खाया। अब याको विरथा मत खोओ, चेतो छिन-छिन भक्ति कमाओ।।’’ 


पंक्तियों को उद्धृत करते हुये कहा मानव शरीर चौरासी लाख योनियों में सर्वश्रेष्ठ है, न जाने कितनी योनियों में भटकते हुये यह अनमोल मानव शरीर मिला। अब यह सुअवसर प्राप्त करके मानव जीवन सफल बनायें। इसी लक्ष्य को समझाने के लिये सन्त महात्मा धरती पर विचरण करके जीवों को सचेत करते हैं। यह कलियुग है पहले के युगों की अपेक्षा इसमें मानव की आयु घट गई, शारीरिक क्षमता घट गई, अन्न में प्राण चला आया। ऐसी स्थिति में दयालु प्रभु ने संतों को भेज कर सुरत-शब्द योग (नाम-योग)  की साधना का मार्ग जारी कराया। उन्होंने आकर समझाया कि सारी आत्मायें उस प्रभु की आकाशवाणी, देववाणी पर उतारकर लाई गई हैं, अब इसका सम्बन्ध शब्द से छूट गया। अब इसे यह बोध नहीं रहा कि हम कहां से आये, मरने के बाद कहां जायेंगे इसका नियन्ता कौन है? इन सब की जानकारी सत्संग से होता है और जब प्रभु की प्राप्ति करने वाले सन्त सत्गुरु मिल जायेंगे तो आत्मा को परमात्मा से मिलने का भेद बता देंगे। साधना करके जीव अपने अजर-अमर देश पहुंच  जायेगा। यही जीवन का असली लक्ष्य है।

उन्होंने आगे कहा जब श्वांसों की पूंजी समाप्त हो जायेगी तो यमदूत आकर प्राणों की डोरी को तोड़ देते हैं और मनुष्य की मृत्यु हो जाती है। इधर लोग अपने रस्म-रिवाज के अनुसार जला देते हैं या दफना देते हैं। उधर इसी शरीर से मिलती लिंग शरीर में यह जीवात्मा धर्मराज की कचहरी में पेश कर दी जाती है। जहां पर तुरन्त कर्मो का हिसाब जो जाता है। जब महापुरुष साधना करके ऊपर के लोकों में जाते हैं तो जीवों को मिल रही यातनाओं को देखकर द्रवित हो जाते हैं और जीवांे को सचेत करते हैं।


 ‘‘सन्त मही विचरत केहि हेतू। जड़ जीवन को करत सचेतू।’’

महाराज जी ने समाज में बढ़ती हिंसा और अपराध की प्रवृत्ति पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुये कहा कि यह स्थिति अशुद्ध खान-पान के कारण है। हम समाज के सभी बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों, धार्मिक लोगों से विनम्र अपील करते हैं कि स्वयं शाकाहारी-सदाचारी रहकर समाज को शाकाहारी बनायें, शराब जैसे मादक नशों को छु़ड़ायें। एक-दूसरे की प्रेम भाव से सेवा करें। अच्छे समाज के निर्माण में भागीदार बनें। संस्थाध्यक्ष ने भगवान के भजन की तरफ प्रेरित करते हुये कहा रास्ता सच्चा है करोगे तो अनुभव होगा। भाई-बहनों! कुछ परमार्थी दौलत कमा लो जो अन्त समय में आप के काम आये।


 आप सबने हमको अपना कीमती समय दिया इसके लिये आप सभी को बहुत-बहुत साधुवाद। 

इस अवसर पर जयगुरुदेव संगत छत्तीसगढ़ के प्रान्तीय अध्यक्ष डॉ. कमल सिंह पटेल, प्रभारी जसवन्त प्रसाद चौरसिया, आयोजक फत्तेलाल ‘बन्धु’, करण भाई पटेल, मनोज कुमार, छतर सिंह चौहान, कौशल कुमार श्रीवास्तव, दुर्गा प्रसाद ढीमर ‘पप्पू’, आनन्द कुमार ताम्रकार, डा. परमानंद सोनकर सहित संस्था के कई पदाधिकारी व प्रबन्ध समिति के सदस्य मौजूद रहे।


नरेंद्र मिश्रा,प्रमुख सलाहकार आंचलिक न्यूज 



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