शाकाहार-सदाचार, मद्यनिषेध, चरित्र-उत्थान, प्रभु प्राप्ति का सरल रास्ता, आपसी प्रेम व सद्भाव, आध्यात्मिकता..


शाकाहार-सदाचार, मद्यनिषेध, चरित्र-उत्थान, प्रभु प्राप्ति का सरल रास्ता, आपसी प्रेम व सद्भाव, आध्यात्मिकता..

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             नरेंद्र मिश्रा ब्यूरो                 

 वाड्रफनगर-बलरामपुर, आंचलिक न्यूज। शाकाहार-सदाचार, मद्यनिषेध, चरित्र-उत्थान, प्रभु प्राप्ति का सरल रास्ता, आपसी प्रेम व सद्भाव, आध्यात्मिकता के व्यापक प्रचार-प्रसार एवं सत्संग कार्यक्रम के साथ सुविख्यात् सन्त बाबा जयगुरुदेव के उत्तराधिकारी एवं जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था, मथुरा (उ.प्र.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूज्य पंकज जी महाराज की रहनुमाई में 26 दिसम्बर को मथुरा से गतिमान 82 दिवसीय-छः प्रान्तीय जनजागरण यात्रा ने ग्राम-कोटराही, ब्लाक व तह. वाड्रफनगर में पड़ाव किया। स्थानीय भाई-बहनों ने गाजे-बाजे व परम्परागत लोकनृत्य के साथ यात्रा का पुरजोर स्वागत किया। जनजागरण यात्रा छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में निरन्तर आगामी 27 जनवरी तक भ्रमण करेगी। 

आज यहाँ आयोजित सत्संग में पंकज जी महाराज ने अपने सम्बोधन में कहा-बड़े सौभाग्य से यह अनमोल मनुष्य शरीर मिला है उससे भी बड़ा सौभाग्य है मनुष्य रूपी मन्दिर में बैठकर हम लोगों को सत्संग सुनने का अवसर मिला।


 ‘‘सत्संग जल जो कोइ पावै, मैलाई सब कटि-कटि जावै।’’

 पंक्ति को उद्धृत करते हुये महाराज जी ने कहा कि सत्संग से मन, बुद्धि, चित्त निर्मल होता है। सत्संग से ही हमें बड़ों का सम्मान व छोटों को प्यार करने का बोध होता है। सत्संग से ही यह विवेक जागता है कि ऐ नर-नारियो ! यह देश तुम्हारा नहीं है। ये रिश्ते-नाते, यह परिवार, यहाँ तक कि यह शरीर भी तुम्हारा नहीं है। यह जो कुछ भी आपको दिखाई, सुनाई देता है, यह सब  माया की छाया है। माया भी नहीं है। एक निश्चित समय के लिये आपके अच्छे, बुरे कर्मों के हिसाब से जाति-बिरादरी, धन दौलत, पद प्रतिष्ठा में आपका जन्म हो गया और जब श्वासों की पूंजी खत्म होगी तो अपना दिया हुआ सब सामान वह यहीं रखवा लेगा। सुई की नोंक बराबर भी सामान यहां से लेकर नहीं जा सकते और जिस शरीर का बड़ा गुमान करते हो यह यहीं पर जलाकर राख कर दिया जायेगा या तो जमीन में गड्ढा खोद कर दफन कर दिया जायेगा। सोचो! आप के साथ क्या जायेगा। इसलिये अब भी वक्त है खेती, दुकान, दफ्तर का काम मेहनत ईमानदारी से करने के बाद बाल-बच्चों की खिदमत, प्यार, दुलार करने के बाद चौबीस घण्टे में से दो घण्टे समय निकाल कर भगवान का भजन कर लो। यह भजन जीवन का सार है। यही भजन जीवात्मा को नर्कों व चौरासी में जाने से बचायेगा। 


‘‘बिन हरि भजन न जाहिं कलेशा।’’


  इसके लिये किसी जानकार गुरु की आवश्यकता होती है। रविदास जी हरिजन थे, मीराबाई क्षत्राणी थी जब इनको वह परमात्मा मिल सकता है तो आपको भी मिल सकता है। इसी मनुष्य शरीर में दोनों आंखों के मध्य में जीवात्मा बैठी है। इसीलिये उसका श्रृंगार किया जाता है यानि कि टीका, चन्दन या बिन्दी, सिंदूर लगाया जाता है। जब गुरु की दया से वह द्वार (ज्ञान चक्षु, शिव नेत्र, तीसरा तिल) खुलता है तो मरने के पहले ही इसी शरीर में राम के, कृष्ण के, अन्य देवी देवताओं के दर्शन होने लगते हैं और वह जीव धन्य हो जाता है। यह जीवन की असली कमाई है। इसलिये आप लोग शाकाहारी रहे, नशों का परित्याग करें और समय निकाल कर भजन भी करें। महाराज जी ने कलयुग की सरल साधना सुरत-शब्द योग (नाम-योग) की साधना का भेद भी बताया और सुमिरन, ध्यान, भजन की विधि भी समझाई।

संस्थाध्यक्ष पूज्य पंकज जी ने वर्तमान में देश में बढ़ती हिंसा और अपराध की प्रवृत्ति में अशुद्ध खान-पान (मांसाहार) और नशीले पदार्थों (शराब आदि) के सेवन को ही बताया। परिवार को, समाज को, देश को शांति सुकून देखना चाहते हो तो हमारी सभी धर्म के मानने वालों से, समाज के शुभचिन्तकों व समाज के अगुवाकारों से अपील है कि सभी लोग आपस में परस्पर प्रेम-सौहार्द के साथ रहें और एक-दूसरे के काम आवें तथा एक अच्छे समाज के निर्माण में अपना योगदान दें। इसी लक्ष्य और उद्देश्य के साथ हम निकले हैं।

उन्होंने बताया कि बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने सबकी भलाई के लिये कह रखा है ‘‘आगे जो मुसीबत आयेगी उस समय सारी दुनिया धर्म को कबूल कर लेगी और महात्माओं को मानने लगेगी, कोहराम, कोलाहल, हाहाकार, त्राहिमाम-त्राहिमाम मचेगा। अक्ल सबकी ठीक हो जायेगी। महात्माओं की मेहनत बेकार नहीं जाती है। होशियार! निरामिष बनो, शराब मत पीना वरना बहुत रोओगे और पछताओगे।’’

 हम सभी आगन्तुकों का आभार व्यक्त करते हैं। आयोजन में शांति व सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस प्रशासन का सहयोग रहा। 

इस अवसर पर जयगुरुदेव संगत छत्तीसगढ़ के पर्यवेक्षक जसवन्त प्रसाद चौरसिया, प्रान्तीय अध्यक्ष डॉ. कमल सिंह पटेल, आयोजक एवं ब्लाक अध्यक्ष विनोद कुमार गुप्ता, सत्यम कुमार, कृष्णा जायसवाल, सुरेश कुशवाहा, हरिहर प्रसाद एडवोकेट, अजय यादव, दीपक यादव, उदय यादव आदि उपस्थित रहे।



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