बोरवेल खनन का खेल: 70से 80 हजार रुपये की लागत का बोरवेल खनन हो रहा है डेढ़ लाख में, जल जीवन मिशन हर घर नल जल की व्यवस्था तो बोरवेल खनन क्यों.? एक हैंड पम्प व एक ट्विवेल को सांसद मद या विधायक मद से खोदकर फिर उसी खनन को दूसरे मद में दिखाकर दोबारा, तिबारा पैसा भी निकले जानें कि शिकायत कर रहे ग्रामीण..


बोरवेल खनन का खेल: 70से 80 हजार रुपये की लागत का बोरवेल खनन हो रहा है डेढ़ लाख में, जल जीवन मिशन हर घर नल जल की व्यवस्था तो बोरवेल खनन क्यों.? एक हैंड पम्प व एक ट्विवेल को सांसद मद या विधायक मद से खोदकर फिर उसी खनन को दूसरे मद में दिखाकर दोबारा, तिबारा पैसा भी निकले जानें कि शिकायत कर रहे ग्रामीण..

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सूरजपुर/बिश्रामपुर, आंचलिक न्यूज। गांव गांव बोरवेल खनन के नाम पर करोड़ों रूपय की अफरा-तफरी कर शासन की योजनाओं का खुलेआम ठेंगा दिखाकर एक भरी भरकम  घोटाला किए जाने के आरोप कई ग्रामों के ग्रामीणों ने लगाया है। 

ग्रामीणों का आरोप है कि कोयलांचल बिश्रामपुर , सूरजपुर जिला सहित पुरे सरगुजा संभाग में बोर वेल खनन के नाम पर करोड़ो रू का घोटाला का खेल खेला जा रहा है। सैकड़ो ग्रामों की ग्रामीणों ने इस बात का खुलासा करते हुए आरोप लगाया कि विधायक मद एवं सांसद मद से करोड़ो रूपये का बोरिंग का काम किया जा रहा साथ ही छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में  डीएमएफ मद से भी बोरिंग के करोड़ो अरबो के काम हुए है जो  सरकारी दर के अनुसार से एक टियूब वेल खनन पर  लगभग 1,50,000 रू का हो रहा है और यही काम को बाजार दर लगभग 70 से 80 हजार में हो जाता है , ओर हैंड पम्प सरकारी दर 1,80,000 रू में हो रहा है जबकि बाजार में बाजार भाव 50,000- रु मे किया जा रहा  है  ग्रामीणों एवं जानकारो का मानना है कि  सांसद, विधायक, ओर  डीएमएफ मद में बोरिंग  कि सहमति देने वाले  नेताओं को इस काम के बदले 35 प्रतिशत बोरवेल मालिक , ठेकेदार  कमिसन दे रहे है जबकि उक्त कार्य का कार्य एजेंसी   पी एच ई को होना चाहिए लेकिन बोरिंग वालो ,एवं नेताओ कि सांठगांठ  व मिली भगत से उक्त कार्य एजेंसी सिचाईं विभाग का  ईएण्डएम  विभाग के माध्यम से कराया जा रहा है जिन्हें इस कार्य का कोई अनुभव नही है ,अगर सरकार को कार्य एजेंसी बनाना है तो  पी एच ई विभाग को बनाना चाहिए , ओर बोरिंग के सभी कार्य निविदा के माध्यम से कराने चाहिए जिससे सरकार को 50 प्रतिशत की बचत होगी  और सरकार को करोड़ो रूपये का फायदा होगा।


केसिंग पाईप  एवम गहराई की खोदाई में घपला..

बोरिंग कार्य करने वाले ठेकेदार बोरिंग का जो कार्य 250 फिट खोदना रहता है और केसिंग पाइप 60 फिट लगाना होता उतना न लगाकर उससे आधे में ही काम चला देते है ओर दिल्ली मेड  घटिया एवम  हल्का क्वालिटी का समर्सिबल पम्प लगाकर हल्का काम किया जाता है  यही  नही बोरवेल वाले एक हैंड पम्प, एक टियूब वेल को सांसद मद या विधायक मद  से खोदकर  फिर उसी खनन को दूसरे मद में दिखाकर दोबारा, तिबारा पैसा भी निकले जानें कि शिकायत ग्रामीण कर रहें है। प्रदेश सरकार को इस ओर विशेष ध्यान देकर अब तक के हुए बोरिंग कार्यो की चांज कराए जाने कि  मांग ग्रामीण कर रहे ताकि बोरवेल में हो रहे भ्रष्टाचार का खुलासा हो सके।
  यहां बताना आवश्यक है कि केंद्र सरकार की योजना के तहत जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर गावँ हर मोहल्ले में पानी की सुविधा दी जा रही है, ओवर हेंड टैंक बनाये जा रहे है फिर गावँ गांव में हेंड पम्प ओर टियूब वेल की जरूरत क्यो पड़ी है यह सब भ्रष्ट्राचार कि ओर इशारा करता है।

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