सूरजपुर, दैनिक आंचलिक न्यूज। छत्तीसगढ़ सरकार धान खरीदी केन्द्रों में हो रहे व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकने तमाम उपाय कर रही लेकिन गड़बड़ी रुकने का नाम नहीं ले रही। किसानों को समर्थन मूल्य पर धान खरीदी योजना का लाभ देने के लिये धान खरीदी केन्द्रों में फर्जीवाड़े का खेल शासन प्रशासन व छूट भाई नेताओं के सह पर जोर-शोर से चल रहा है। सूत्रों की मानें तो समितियों में धान खरीदी न करते हुए उसे सीधा राईस मिल भेजा जा रहा है इसके बाद कागजों में चढ़ाया जा रहा है जिससे किसानों को समर्थन मूल्य योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
ज्ञात हो कि प्रदेश में धान खरीदी का कार्य अब अपने अंतिम चरण में है इसी का जमकर फायदा समितियों में उठाया जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार समितियों में एक दिनों में 15 से 20 किसानों को टोकन दिया जाता है जबकि वहां सिर्फ 5से 7 किसान ही धान लेकर समितियों में पहुंचते हैं उसमें भी वहां आधा अधूरा धान लेकर उनसे पूरा धान खरीद लेने की एंट्री कर दी जाती है इसके अलावा जो किसान धान लेकर मंडी नहीं पहुंचता उस किसान से मिलीभगत कर खरीदी आखरी समय शाम को पूरे किसानों का खरीदी बताकर राइस मिलर से सांठगांठ कर डीओ काट मिल पर पहुंचा दिया जाता है।
धान खरीदी केंद्रों में आए हुए धान केन्द्रों में धान का खाली बोरा डाल दिया जाता है ताकि यहां से बोर का गिनती का घटती बढ़ती आय व्यय लिखा जा सके। रात्रि के समय में धड़ल्ले से यह कार्य चलता है। सीमावर्ती दूसरे राज्यों से भी लाकर धान यहां के मंडियों में खपाई जा रही है। इन दिनों धान कोचिया इतने सक्रिय है कि उनके धान पहले लिये जा रहे हैं।
खरीदी के अंतिम समय में यह गड़बड़झाला हर साल किया जाता है मगर गड़बड़ी करने वालों की पहुंच इतनी उंची होती है कि उनके इस कृत्य पर किसी प्रकार की आंच नहीं आती। जानकारों की मानें तो समिति प्रबंधक बनने से पहले जिसके पास गुजर-बसर के पैसे नहीं होते, प्रबंधक बनने के बाद वह करोड़ों का आसामी हो जाता है। हेराफेरी करने वालों की सेटिंग भी काफी तगड़ी होती है जिससे जांच करने वाले भी खानापूर्ति करके चले जाते हैं।
यदि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाये तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा मगर जांच करेगा कौन यह भी एक बड़ा सवाल है।
मुख्यमंत्री ने धान खरीदी की बढ़ाई.. फायदा उठा रहे दलाल
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जैसे ही धान खरीदी की तिथि बढ़ाई वैसे ही फर्जी किसान व कोचिया समितियों में सक्रिय हो गए हैं और जमकर धान की कालाबाजीरी करने में जुटे हुए हैं।परंतु प्रशासन की नजर इस ओर बिल्कुल नहीं है जिससे इनके हौसले बुलंद हैं। सूत्रों की माने तो राइस मिलरों की मिल नवीन राईस मिल निरमाढ़ाधिन है बावजूद इसके मिल के नाम से डीओ काट जारी कर दिया है। जो अधिकारियों का मिलीभगत का जीता जागता भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना सबूत है।
इनका कहना है..
प्रतापपुर एसडीएम दीपिका नेताम ने चर्चा के दौरान कहा कि धान खरीदी केंद्रों में छापेमारी कर जांच उपरांत कार्रवाई की जाएगी।