आंचलिक न्यूज. com ब्यूरो
पालक और शिक्षक
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गुरु ही पूज्य है
गुरू से है ज्ञान।
ज्ञान ही पवित्र है
ज्ञान से विज्ञान।।
जन्म दिया जिसने
गुरू पद है मां।
अमृत है आंचल मे
सुचिता है मां।।
चलना सिखाएं
वो राही है मां।
है बनके किरण
वो ज्योति है मां।।
अज्ञान तम को
दूर किया जिसने।
उदय हुआ जीवन में
ज्ञान दिया जिसने ।।
सद्भाव जगाया
स्वयं को तपाकर।
सदाचार सिखाया
स्वयं को जगाकर।।
शिक्षक से शिक्षा है
सींचते है जैसे।
कुंभ जैसे घट को
बनाते है जैसे।।
आयेंगे वासंती
जीवन मे चहूं ओर।
गुरू की कृपा से
ज्ञान का है भोर।।
प्रो. डीपी कोरी
प्राचार्य
शासकीय महाविद्यालय विश्रामपुर।।