प्रतापपुर ब्लॉक में नियम-कानून की धज्जियां उड़ाते हुए कई वर्षों से चल रहा है अटैचमेंट का कार्य, आला अधिकारी मौन
ब्यूरो- सूरजपुर, आंचलिक न्यूज। जिले के प्रतापपुर विकासखंड में शिक्षा विभाग अपने नए- नए कारनामों को लेकर हमेशा सुर्खियां बटोरने को लेकर चर्चा में रहता है साथ ही शिक्षा विभाग प्रतापपुर में लंबे समय से चल रहे भ्रष्टाचार और नियमों के उल्लंघन ने ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ा दिया है। शिक्षा विभाग में वर्षों से चल रहे ‘अटैचमेंट’ का खेल अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच खुलेआम हो रहा है। नियम-कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए कई शिक्षक और बाबू अपने मूल स्थान से हटकर मनचाही जगह पर काम कर रहे हैं, जहां वे अपनी सुविधा के अनुसार पदस्थापित हैं। हद तो तब हो गई जब शिक्षा विभाग के बाबू को खुद का विभाग छोड़कर मलाईदार विभाग में विगत 1 वर्षों से डांड़करवां उपतहसील में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया है।
इसका ताजा उदाहरण शिक्षा विभाग के एक बाबू का है, जिसे अपने विभाग को छोड़कर पिछले एक साल से प्रतापपुर के डाड़करवा स्थित राजस्व विभाग के उप तहसील में प्रतिनियुक्ति पर तैनात किया गया है। आरोप है कि यह नियुक्ति महज औपचारिकता नहीं, बल्कि मलाईदार पदों पर बने रहने और अधिकारियों की कृपा हासिल करने का परिणाम है।
ज्ञात हो कि वह बाबू तहसील के बगल गांव गोविंदपुर का निवासी है जिसे वह न्यायालय की गरिमा को भी प्रभावित कर रहा है।
ग्रामीणों में आक्रोश, प्रशासन की चुप्पी
ग्रामवासियों का कहना है कि इस बाबू की उप तहसील में तैनाती के बाद से ही आम जनता के कामों में देरी और भ्रष्टाचार बढ़ गया है। विभाग के अधिकारी ग्रामीणों की समस्याओं को सुनने की बजाय अनदेखी कर रहे हैं, जिससे जनता में रोष पनप रहा है।
विकासखंड के अधिकारियों को कई बार इस मामले की जानकारी दी गई, लेकिन किसी ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। इससे साफ जाहिर होता है कि अधिकारियों और बाबू के बीच अंदरूनी समझौता है। कुछ लोगों का मानना है कि त्योहारों के समय अधिकारी और बाबू के बीच लेन-देन की बात भी सामने आई है। ग्रामीणों का आरोप है कि दीपावली और होली जैसे त्योहारों पर अधिकारियों को मोटी रकम पहुंचाई जाती है, जिससे अधिकारी इन भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाते।
शिक्षा विभाग में अटैचमेंट की बढ़ती समस्या
प्रतापपुर विकासखंड में यह कोई अकेला मामला नहीं है। कई शिक्षक भी अपने मूल स्थान को छोड़कर मनचाही जगहों पर अटैचमेंट के सहारे काम कर रहे हैं, जिससे स्कूलों में पढ़ाई प्रभावित हो रही है। स्कूल प्रशासन पहले भी इस संबंध में अधिकारियों को अवगत करा चुका है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे ग्रामीणों में प्रशासन के खिलाफ गहरी नाराजगी है और वे आंदोलन करने की चेतावनी दे रहे हैं।
अधिकारियों की मौन स्वीकृति?
ग्रामीणों का मानना है कि विकासखंड के आला अधिकारियों की मौन स्वीकृति से ही इस तरह का भ्रष्टाचार संभव हो पा रहा है। यदि उच्च अधिकारी इन मामलों पर गंभीरता से ध्यान देते और समय पर कार्रवाई करते, तो शायद जनता को इस तरह की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता। यदि समय रहते उसे बाबू को मूल पद पर वापस नहीं किया गया तो प्रशासन को भारी आक्रोश का सामना करना पड़ सकता है।
अब देखना होगा कि ग्रामीणों की इस गुहार पर प्रशासन जागता है या फिर यह भ्रष्टाचार इसी तरह चलता रहेगा। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्दी ही समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।