11 हाथियों के दल ने किया पण्डो जनजाति के दो मासूमों का निर्मम संहार, क्षेत्र में दहशत का माहौल, वन विभाग ने जारी की चेतावनी..


11 हाथियों के दल ने किया पण्डो जनजाति के दो मासूमों का निर्मम संहार, क्षेत्र में दहशत का माहौल, वन विभाग ने जारी की चेतावनी..

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शशांक दुबे
रामानुजनगर, आंचलिक न्यूज। रामानुजनगर वन परिक्षेत्र के महेशपुर टनटलिया पहाड़, जिसे स्थानीय लोग मुलकी पहाड़ के नाम से भी जानते हैं, से आई एक दर्दनाक खबर ने पूरे क्षेत्र को शोक और भय में डुबो दिया है। यहां बीते रात जंगल में मवेशी चराने के लिए बसने वाले पण्डो जनजाति के परिवार पर 11 हाथियों के एक दल ने हमला किया। इस हमले में दो मासूम बच्चों की जान चली गई, जबकि परिवार के बाकी सदस्य किसी तरह जान बचाने में सफल रहे।

घटना का विवरण

प्राप्त जानकारी के अनुसार, पण्डो जनजाति का परिवार, जिसमें भिखू राम पण्डो और उनके परिजन शामिल थे, जंगल के बीच स्थित फूस की झोपड़ी में रहते हैं। बीते रात लगभग 1 बजे, जब पूरा परिवार गहरी नींद में था, अचानक 11 हाथियों का दल उनकी झोपड़ी के पास आ धमका। हाथियों की आहट से भिखू राम और उनकी पत्नी ने घबराकर अपने दो बच्चों को लेकर भागने की कोशिश की। इस दौरान तीन बच्चे झोपड़ी में ही रह गए।

भिखू राम का 8 वर्षीय बेटा देव सिंह किसी तरह झोपड़ी से बाहर निकलकर पास ही में छुप गया, जबकि 11 वर्षीय बेटा टिशु और 5 वर्षीय बेटी काजल हाथियों के चपेट में आ गए। हाथियों ने इन दोनों बच्चों को झोपड़ी से बाहर खींचकर बेरहमी से कुचलकर उनकी जान ले ली। इस भयावह दृश्य को देव सिंह ने अपनी आंखों के सामने देखा, जो कि मानसिक रूप से अत्यंत आघातकारी रहा।

वन विभाग और स्थानीय नेताओं की प्रतिक्रिया



घटना की सूचना मिलने पर वन विभाग के रेंजर रामचंद्र प्रजापति और भाजपा के वरिष्ठ नेता वीरे वीरेंद्र जायसवाल, मंडल अध्यक्ष जगमोहन सिंह, तथा नोहर साहू मौके पर पहुंचे। उन्होंने मृतकों के परिजनों को सांत्वना देते हुए 50,000 रुपये की सहायता राशि प्रदान की। वन विभाग ने इलाके में गश्त बढ़ा दी है और माइक से लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है। बताया जा रहा है कि 3 नवंबर से हाथियों का यह दल रामानुजनगर वन क्षेत्र के इन जंगलों में घूम रहा है।

स्थानीय निवासियों में भय का माहौल

इस दर्दनाक घटना ने इलाके के सभी लोगों को भयभीत कर दिया है। क्षेत्र के चार-पांच परिवार जो पहाड़ पर झोपड़ी बनाकर रहते थे और मवेशी चराने का कार्य करते थे, उन्हें वन विभाग ने वापस घर भेज दिया है। इसके अलावा, क्षेत्र के लोगों को हाथियों के खतरे को लेकर सतर्क किया जा रहा है।

वन विभाग की चुनौती

मुलकी पहाड़ पर वन विभाग के लिए सतर्कता बनाए रखना आसान नहीं है। यहां तक पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं है और करीब डेढ़ किलोमीटर तक का सफर पैदल ही करना पड़ता है। इस क्षेत्र में हाथियों के आक्रमण की घटनाएं बढ़ने से वन विभाग की चुनौती भी बढ़ गई है। हाथियों की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए वन विभाग ने सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है।

असहाय जनजाति और प्रशासन से मदद की पुकार
यह घटना न केवल पण्डो जनजाति बल्कि पूरे क्षेत्र के निवासियों के लिए एक चेतावनी है। जनजातीय समुदाय के लोग, जो वन्य क्षेत्र में अपना जीवन यापन कर रहे हैं, इस प्रकार की घटनाओं से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। प्रशासन से मांग की जा रही है कि ऐसे प्रभावित परिवारों के लिए दीर्घकालिक राहत और पुनर्वास योजनाओं पर ध्यान दिया जाए ताकि वे सुरक्षित और भयमुक्त जीवन जी सकें।

क्षेत्र में शोक का माहौल

इस दर्दनाक हादसे से क्षेत्र में मातम छा गया है। लोग हाथियों के आतंक से सहमे हुए हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि क्षेत्र में हाथियों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

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