रमकोला हाथी पुनर्वास केंद्र में लापरवाही की भेंट चढ़ी शासन की वन संवर्धन योजनाएं, हजारों पौधे हुए नष्ट, वन संरक्षण की दिशा में बाधा बनती लापरवाही, जिम्मेदार अधिकारी मौन, क्षेत्रवासियों ने उठाई कार्रवाई की मांग..


रमकोला हाथी पुनर्वास केंद्र में लापरवाही की भेंट चढ़ी शासन की वन संवर्धन योजनाएं, हजारों पौधे हुए नष्ट, वन संरक्षण की दिशा में बाधा बनती लापरवाही, जिम्मेदार अधिकारी मौन, क्षेत्रवासियों ने उठाई कार्रवाई की मांग..

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सूरजपुर - ग्राउंड 0 की रिपोर्ट

आंचलिक न्यूज। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में स्थित तमोर पिंगला अभयारण्य के पास स्थापित रमकोला हाथी पुनर्वास केंद्र, जो राज्य के वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों का प्रतीक माना जाता है, आज अधिकारियों की लापरवाही का शिकार हो गया है। राज्य सरकार द्वारा राज्य के वन क्षेत्रों को हरा-भरा बनाने के उद्देश्य से 3 करोड़ 80 लाख पौधे रोपने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन इस योजना में लगे अधिकारियों की लापरवाही के चलते लाखों पौधे नष्ट हो गए हैं। रमकोला पुनर्वास केंद्र में रख-रखाव के अभाव में नर्सरी में तैयार किए गए अधिकांश पौधे मुरझा चुके हैं, जिससे राज्य को भारी वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।

रमकोला हाथी पुनर्वास केंद्र को 2018 में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) की सैद्धांतिक मंजूरी के साथ स्थापित किया गया था। लगभग 4.8 हेक्टेयर में फैला यह केंद्र छत्तीसगढ़ का एकमात्र ऐसा स्थल है, जो हाथियों की विशेष देखभाल और पुनर्वास के लिए समर्पित है। इसी केंद्र में राज्य सरकार द्वारा "एक पेड़ मां के नाम" अभियान के अंतर्गत बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जाना था, जो कि हाथियों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। लेकिन, इस अभियान के तहत उगाए गए पौधों का रख-रखाव और उचित देखभाल सुनिश्चित नहीं हो पाई, और नतीजतन लाखों पौधे खराब हो गए हैं।

जिम्मेदार अधिकारी मौन, क्षेत्रवासियों ने उठाई कार्रवाई की मांग 

यह अत्यंत चिंताजनक है कि जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। स्थानीय निवासियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि विभाग द्वारा करोड़ों रुपए खर्च करके तैयार की गई नर्सरी में लगे पौधों की देखभाल पर ध्यान नहीं दिया गया, जिसके कारण यह अभियान असफलता की कगार पर पहुंच गया है। क्षेत्र के नागरिकों ने इन लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

वन संरक्षण की दिशा में बाधा बनती लापरवाही

राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, छत्तीसगढ़ का 44 प्रतिशत क्षेत्र वन से आच्छादित है, जो हाथियों और अन्य वन्यजीवों के संवर्धन के लिए उपयुक्त माना जाता है। ऐसे में सरकार की योजनाएं वन क्षेत्रों को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं। लेकिन अधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही के चलते शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं पर पानी फिरता नजर आ रहा है।

राज्य में वन संवर्धन और वन्यजीव संरक्षण के प्रति जनता का समर्थन देखते हुए यह अत्यंत आवश्यक है कि अधिकारियों को इस तरह की लापरवाहियों के लिए जवाबदेह ठहराया जाए। अगर उचित देखभाल और प्रबंधन सुनिश्चित नहीं किया गया, तो राज्य की महत्वाकांक्षी वन संरक्षण योजनाओं पर असर पड़ेगा और यह क्षेत्र वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में अपनी पहचान खो सकता है।

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