प्रस्तुतकर्ता: आंचलिक न्यूज
हिरण्यगर्भाय
हे दिवाकर हे प्रभाकर
तेरा असीम तेज है।
जीवन देते सबको
बाकी सब निस्तेज है।।
प्रखर तेज पुंज से
तिमिर दूर भगाते है।
ब्रह्मांड को भ्रमण कर
जीवन ज्योति लाते है।।
सप्त अश्व रथ अटल प्राप्त
सारथी तेरे अरुण है।
शोभित है गगन मंडल
प्रातः बेला तरुण है।।
धरती पर तेरी कृपा
जग हुवे है उजियारा।
निकट न निशा आवे
विदित है जग सारा।।
कालचक्र में स्वयं बंधे
सृष्टि के मूल कारक है।
शरण में जो तेरे आए
बनकर उनके तारक है।।
षष्ठी व्रत जो करें
घर उनके सुख धाम।
अर्घ्य से जो ध्यान करें
काया निरोगी नाम।।
प्रो डी पी कोरी
प्राचार्य
शासकीय महाविद्यालय बिश्रामपुर।।