ब्यूरो रिपोर्ट
सूरजपुर, आंचलिक न्यूज। प्रतापपुर स्थित शासकीय कालिदास महाविद्यालय के छात्रों और स्थानीय लोगों की सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है कॉलेज रोड की खस्ता हालत। हालात इतने खराब हो गए हैं कि इस सड़क पर चलने से दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता जा रहा है, और छात्रों को भारी धूल से जूझना पड़ता है। इसके बावजूद भी अब तक किसी भी सरकार या प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जिससे सड़क का निर्माण हो सके।
सड़क का हाल: मुरम डालने से केवल खानापूर्ति
शासकीय महाविद्यालय के कॉलेज रोड का हाल अब बद से बदतर हो चुका है। अधिकारियों द्वारा सड़क में मुरम डालकर केवल खानापूर्ति की गई है, लेकिन इससे समस्या का समाधान नहीं हुआ। सड़क पर फैली धूल और गड्ढे छात्रों के लिए रोज़मर्रा की परेशानी का कारण बन गए हैं। इसका खामियाजा न केवल छात्रों को भुगतना पड़ रहा है, बल्कि कॉलेज में आने-जाने वाले स्थानीय लोग भी इस सड़क की हालत से परेशान हैं।
कई बार छात्रों ने इस सड़क के निर्माण की मांग को लेकर प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपे हैं, लेकिन आज तक इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। सड़क में मुरम डालने से न तो धूल की समस्या हल हुई है और न ही सड़क के गड्ढे सही हुए हैं। इसके बावजूद भी प्रशासन और स्थानीय प्रतिनिधि इस मुद्दे पर गंभीर नहीं दिख रहे हैं।
मुख्यमंत्री के दौरे ने खोली शासन-प्रशासन की पोल
कुछ हफ्ते पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का प्रतापपुर दौरा प्रस्तावित था और इस दौरान उनका हेलीकॉप्टर कॉलेज ग्राउंड में उतरने वाला था। इस मौके पर अधिकारियों ने आनन-फानन में सड़क के गड्ढों को छुपाने के लिए मुरम डलवाकर स्थिति सुधारने का प्रयास किया। हालांकि, मुख्यमंत्री का लैंडिंग स्थल कॉलेज ग्राउंड में नहीं हुआ, और सड़क के हालात जैसे के तैसे बने रहे।
स्थानीय जनता और छात्रों का कहना है कि यदि मुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर कॉलेज ग्राउंड में उतरता, तो कम से कम यह सड़क बन जाती। उनका आरोप है कि अधिकारियों ने केवल मुख्यमंत्री के दौरे को लेकर सड़क की हालत सुधारने का प्रयास किया, लेकिन जैसे ही दौरा खत्म हुआ, सड़क की समस्याएं फिर से जस की तस बनी रहीं।
विकास के दावों की हवा
चलिए, बात करते हैं राजनीति की। भाजपा और कांग्रेस के कई दिग्गज मंत्री और विधायक इस क्षेत्र से आ चुके हैं, लेकिन कोई भी इस सड़क के निर्माण को गंभीरता से नहीं ले सका। विकास के बड़े-बड़े दावे करने वाली सरकारें और जनप्रतिनिधि हर बार चुनावी वादे करते हैं, लेकिन जब बात आती है जमीनी समस्याओं की, तो वे केवल शब्दों तक ही सीमित रह जाते हैं।
करीब तीन दशकों से महाविद्यालय के छात्रों और प्रतापपुर वासियों को इस सड़क के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। यह केवल 500 मीटर लंबी सड़क है, लेकिन इसके बावजूद भी शासन-प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के लिए यह सड़क एक असहनीय चुनौती बन चुकी है।
कब मिलेगा समाधान?
स्थानीय लोग और छात्र अब परेशान हो चुके हैं। उनका सवाल है कि आखिरकार यह सड़क कब बनेगी? जब भी सड़क की समस्या को लेकर कोई कदम उठाने की कोशिश की जाती है, तो वह केवल प्रदर्शन और खानापूर्ति तक सीमित रहती है। कभी मुरम डाली जाती है, तो कभी गड्ढे छुपाए जाते हैं, लेकिन सड़क की बुनियादी समस्याएं जस की तस बनी रहती हैं।
शासन-प्रशासन को यह समझने की आवश्यकता है कि छात्रों की परेशानियों को हल करना केवल कागजी कार्यवाही से नहीं होगा। यह सड़क न केवल छात्रों के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। क्या किसी जनप्रतिनिधि या नेता ने कभी इस गंभीर समस्या को प्राथमिकता दी है?
निष्कर्ष:
कभी-कभी लगता है कि केवल चुनावों के समय ही प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को जनता की याद आती है, लेकिन जब बात असल मुद्दों की होती है तो वे मुंह मोड़ लेते हैं। महाविद्यालय सड़क का निर्माण और इसके सुधार की जिम्मेदारी अब तक किसी ने नहीं ली। यह महज एक सड़क का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह इस बात का प्रतीक है कि क्षेत्रीय समस्याओं को लेकर शासन और प्रशासन की संवेदनशीलता कितनी कम है। अब देखना यह होगा कि इस सड़क के निर्माण में कौन सा जनप्रतिनिधि या नेता आगे बढ़कर इस समस्या का समाधान करता है और छात्रों सहित प्रतापपुरवासियों को राहत देता है।