राज्योत्सव कार्यक्रम में मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े के मंच पर पहुंचते ही पत्रकारों ने नाराजगी जताते हुए कार्यक्रम का कर दिया बहिष्कार, प्रशासन की किरकिरी..


राज्योत्सव कार्यक्रम में मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े के मंच पर पहुंचते ही पत्रकारों ने नाराजगी जताते हुए कार्यक्रम का कर दिया बहिष्कार, प्रशासन की किरकिरी..

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सरगुजा/बलरामपुर, आंचलिक न्यूज। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में आयोजित राज्योत्सव कार्यक्रम में एक अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई जब कार्यक्रम में शामिल होने आई मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े के मंच पर पहुंचते ही पत्रकारों ने नाराजगी जताते हुए कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया। इससे जिला प्रशासन की खासी किरकिरी हुई और यह घटना अब जिले में चर्चा का विषय बन गई है।

जिला प्रशासन ने राज्योत्सव कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए व्यापक तैयारी की थी, लेकिन पत्रकारों को कार्यक्रम से दूर रखने या उनके अधिकारों का उल्लंघन करने के कारण वे नाराज हो गए। पत्रकारों का आरोप था कि उन्हें उचित तरीके से आमंत्रित नहीं किया गया और न ही उन्हें प्रेस के लिए कोई उचित व्यवस्था दी गई। इससे नाराज होकर उन्होंने कार्यक्रम स्थल से उठकर वहां से चले जाने का निर्णय लिया।

मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े जब कार्यक्रम में शामिल होने मंच पर पहुंचीं, तो उन्होंने देखा कि मीडिया प्रतिनिधि कार्यक्रम से बाहर जा चुके हैं। इस दौरान जिला प्रशासन की कार्यशैली और उनके द्वारा पत्रकारों को अनदेखा करने की वजह से यह स्थिति उत्पन्न हुई थी। यह घटना जिले के प्रशासनिक तंत्र के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी है और यह अब एक गंभीर सवाल बन गया है कि प्रशासन ने पत्रकारों को उचित सम्मान क्यों नहीं दिया।


विधायक उद्देश्वरी पैकरा भी थी मौजूद,,


इस दौरान मंच पर सामरी विधानसभा की विधायक उद्देश्वरी पैकरा भी उपस्थित थीं, लेकिन पत्रकारों के बहिष्कार के बाद कार्यक्रम का माहौल बिगड़ गया। प्रशासन की ओर से यह कोशिश की जा रही है कि नाराज पत्रकारों को मनाया जाए और स्थिति को शांत किया जाए, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।


नाराजगी का कारण: पत्रकारों की अनदेखी,,,


पत्रकारों के बीच चर्चा का विषय यह बन गया है कि आखिर उन्हें क्यों कार्यक्रम से बाहर रखा गया और क्यों उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया। पत्रकारों का कहना था कि उन्हें कार्यक्रम के महत्व के अनुरूप सम्मान नहीं दिया गया। कई पत्रकारों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रशासन ने उन्हें कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं दी और उनके स्थान पर अन्य गैर-मीडिया लोग बैठाए गए, जिससे वे आहत हुए।


क्या प्रशासन सफल होगा मनाने में?


अब सवाल यह उठ रहा है कि जिला प्रशासन नाराज पत्रकारों को कैसे मनाएगा और क्या मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े का रुख इस मामले में सकारात्मक रहेगा? क्या प्रशासन और मंत्री इस घटना की गंभीरता को समझते हुए उचित कार्रवाई करेंगे? यह देखना दिलचस्प होगा कि पत्रकारों का बहिष्कार और प्रशासन की लापरवाही पर क्या कदम उठाए जाएंगे।


निष्कर्ष,,


इस घटना ने यह साबित कर दिया कि पत्रकारों का महत्व कार्यक्रमों में और उनके अधिकारों का सम्मान होना चाहिए। यदि प्रशासन और नेता इस बात को गंभीरता से नहीं लेंगे, तो ऐसे घटनाएं उनकी छवि को नुकसान पहुंचा सकती हैं। अब यह सवाल है कि प्रशासन इस मुद्दे को कैसे सुलझाएगा और पत्रकारों के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने के लिए क्या कदम उठाएगा।

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