चंद्रिका कुशवाहा
सूरजपुर,आंचलिक न्यूज। गायत्री प्रज्ञा पीठ भैयाथान में आज बाल संस्कारशाला का आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों को नैतिक शिक्षा और संस्कारों का महत्व सिखाने पर विशेष जोर दिया गया। इस आयोजन में लगभग 55 बच्चों ने भाग लिया और बड़े ध्यानपूर्वक सभी सत्रों में भाग लिया।
संस्कारशाला का उद्देश्य और प्रमुख पहलू
बाल संस्कारशाला का उद्देश्य बच्चों के भीतर नैतिकता, अनुशासन और भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान विकसित करना है। कार्यक्रम में बच्चों को जीवन मूल्यों, व्यवहार कौशल और आत्म-निर्माण के गुर सिखाए गए।
आयोजकों ने बच्चों को सरल और प्रभावी तरीके से नैतिक कहानियां, प्रेरणादायक गीत और व्यवहारिक जीवन में उपयोगी शिक्षाएं प्रदान कीं। साथ ही, बच्चों के मनोबल और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए ध्यान और योग अभ्यास भी कराया गया।
बच्चों ने किया उत्साहपूर्वक भागीदारी
संस्कारशाला में सम्मिलित हुए बच्चों ने न केवल ध्यानपूर्वक सभी बातें सुनीं, बल्कि उनमें गहरी रुचि भी दिखाई। कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने कई सवाल पूछे और आयोजकों ने उनका समाधान सरल और प्रभावशाली तरीके से किया।
संस्कारशाला के प्रभाव
गायत्री प्रज्ञा पीठ के आयोजकों ने बताया कि इस तरह के कार्यक्रम बच्चों को नैतिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाने में मदद करते हैं। बच्चों के भीतर आत्म-अनुशासन, आदर, और आत्मविश्वास का निर्माण होता है।
संस्थान के संयोजक ने कहा कि ऐसे आयोजनों को नियमित रूप से आयोजित किया जाएगा, ताकि बच्चों में संस्कारों का सतत विकास हो सके।
कार्यक्रम के समापन पर बच्चों को जीवन में नैतिकता और आदर्शों का पालन करने की प्रेरणा दी गई।
अभिभावकों और समाज की सराहना
बाल संस्कारशाला के इस प्रयास की बच्चों के अभिभावकों और स्थानीय समाज ने सराहना की। सभी ने इसे बच्चों के सर्वांगीण विकास का एक उत्कृष्ट प्रयास बताया और इस तरह के आयोजन को आगे बढ़ाने का आग्रह किया।
गायत्री प्रज्ञा पीठ भैयाथान का यह प्रयास समाज के बच्चों को बेहतर नागरिक और नैतिकता से पूर्ण इंसान बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।