भगवान शिव जन-जन के गुरु हैं आपके भी हो सकते हैं, चलगली में शिव चर्चा का भव्य आयोजन: सैकड़ों श्रद्धालुओं ने शिव को गुरु मानकर शिव शिष्यता स्वीकारा, गुरु चर्चा व संकीर्तन-भजन से रहा भक्तिमय माहौल..


भगवान शिव जन-जन के गुरु हैं आपके भी हो सकते हैं, चलगली में शिव चर्चा का भव्य आयोजन: सैकड़ों श्रद्धालुओं ने शिव को गुरु मानकर शिव शिष्यता स्वीकारा, गुरु चर्चा व संकीर्तन-भजन से रहा भक्तिमय माहौल..

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चंद्रिका कुशवाहा/ नरेंद्र मिश्रा 
बलरामपुर, आंचलिक न्यूज। चलगली थाना के सामने हाईस्कूल ग्राउंड में एक दिवसीय शिव चर्चा का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर भगवान शिव को अपना गुरु माना। कार्यक्रम ने भक्तिमय वातावरण का निर्माण करते हुए उपस्थित जनसमूह को आध्यात्मिक ऊर्जा और प्रेरणा से भर दिया।

कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएं 

शिव चर्चा का उद्देश्य भगवान शिव को गुरु के रूप में स्वीकार कर उनकी शिक्षा और कृपा से जीवन को सार्थक बनाना था। श्रद्धालुओं ने शिव के प्रति अपनी निष्ठा और समर्पण व्यक्त किया। बलरामपुर और सूरजपुर जिले से आए गुरुभाई-बहनों ने अपने विचार, भजन और कीर्तन के माध्यम से उपस्थित जनसमूह को प्रेरित किया।

वक्ताओं ने बताया कि वरेण्य गुरुभ्राता साहब हरीन्द्रानंद जी ने शिव को जगत गुरु मानने की परंपरा को पुनर्जीवित किया है। शिव को गुरु रूप में स्वीकार करने से जीवन के सभी दुख, कष्ट और अज्ञान दूर होते हैं। शिव शिष्यत्व का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि यदि प्रत्येक व्यक्ति शिव को गुरु मानकर उनसे दया और मार्गदर्शन मांगे, तो व्यक्तिगत और सामूहिक कल्याण संभव है।

भजन-कीर्तन और भक्तिमय माहौल

कार्यक्रम में प्रस्तुत भजन और कीर्तन ने उपस्थित लोगों को शिव भक्ति की भावना से ओतप्रोत कर दिया। कलाकारों ने मधुर संगीत और आध्यात्मिक गीतों के माध्यम से भक्तिमय वातावरण का निर्माण किया।

शिव को गुरु बनाने के तरीके

वक्ताओं ने शिव को गुरु बनाने के तीन सरल सूत्र साझा किए:

 समर्पण का भाव: शिव को मन ही मन अपना गुरु स्वीकार करना और शिष्य भाव से उनसे दया मांगना।शिव चर्चा: दूसरों से शिव के गुरु रूप के बारे में चर्चा करना और उन्हें भी शिष्यत्व की ओर प्रेरित करना।
 जाप: प्रतिदिन 108 बार "नमः शिवाय" का जाप कर शिव के प्रति भक्ति और निष्ठा प्रकट करना।
इन उपायों को अपनाकर किसी भी व्यक्ति का जीवन सफल और कष्टमुक्त हो सकता है।

महाप्रसाद और भव्य व्यवस्था 

श्रद्धालुओं के लिए आयोजनकर्ताओं द्वारा महाप्रसाद का आयोजन किया गया, जिसमें सभी ने प्रसाद ग्रहण कर अपने अनुभव साझा किए।

मंच संचालन और प्रमुख आयोजक

कार्यक्रम का कुशल संचालन गुरुभाई हरिनारायण गुप्ता और अजय कुमार साहू ने किया। आयोजन को सफल बनाने में अशोक गुप्ता, अनिल सिंह, इंद्रदेव प्रजापति और लल्लू गुप्ता सहित कई स्थानीय लोगों का विशेष योगदान रहा।

उपस्थित प्रमुख व्यक्तित्व 

कार्यक्रम में बलरामपुर और सूरजपुर जिले के अनेक गुरुभाई-बहनों ने सहभागिता की, जिनमें शामिल थे:

बलरामपुर जिले से: हरिनारायण गुप्ता, सुरेश प्रजापति, रमाशंकर रजक, शिवलाल प्रजापति, जय श्री, अरुण यादव, मंगल देव साहू, मानमती प्रजापति, उर्मिला गुप्ता, राजा सोनी, विजय विश्वकर्मा आदि।
सूरजपुर जिले से: चंद्रिका कुशवाहा, अजय कुमार साहू, रामशरण राजवाड़े, लखन ठाकुर, वकील प्रसाद चौधरी, सुमित्रा रजक, हरिप्रसाद राजवाड़े आदि।

समाप्ति और भावनात्मक संदेश 

शिव चर्चा का यह आयोजन न केवल भक्ति और आस्था का अद्भुत उदाहरण बना, बल्कि समाज में समर्पण, गुरु भक्ति और आध्यात्मिकता का संदेश भी फैलाया। आयोजन के अंत में श्रद्धालुओं ने शिव के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त करते हुए इस आध्यात्मिक यात्रा में सम्मिलित होने का संकल्प लिया।
यह आयोजन बलरामपुर और आसपास के क्षेत्रों में शिव भक्ति और चर्चा की एक नई परंपरा की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।
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