चंद्रिका कुशवाहा
एमसीबी-कोरिया, आंचलिक न्यूज। ग्राम छिंदिया में 7 दिसंबर से 15 दिसंबर तक आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ने क्षेत्र में अध्यात्म और भक्ति का वातावरण सृजित किया। श्रद्धालुओं के लिए यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक भी बन गया।
प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित राकेश शुक्ला ‘अयोध्या वाले महाराज जी’ ने अपनी मधुर वाणी और सरल शैली से कथा के गूढ़ रहस्यों को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। कथा के दौरान उन्होंने महाराज परीक्षित के मोक्ष, कृष्ण-सुदामा की मित्रता, और अन्य प्रसंगों के माध्यम से भक्ति और जीवन मूल्यों की गहरी व्याख्या की। उनकी प्रस्तुति ने हजारों श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।
समापन दिवस पर कृष्ण-सुदामा प्रसंग ने विशेष रूप से हर किसी का हृदय छू लिया। सुदामा की सादगी और भगवान कृष्ण की मित्रता का ऐसा मार्मिक चित्रण किया गया कि श्रोताओं की आंखें नम हो गईं। कथा के दौरान पंडित राकेश शुक्ला जी के साथ रामाचार्य महाराज और अन्य आचार्य गणों ने भी अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की दिव्यता में वृद्धि की।
इस आयोजन को भव्य और सफल बनाने में जनपद उपाध्यक्ष श्रीमती आशा महेश साहू और आयोजन समिति के सदस्यों ने अथक परिश्रम किया। श्रद्धालुओं ने समिति और महाराज जी के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त की।
श्रीमद् भागवत कथा का विसर्जन: झांकी और गाजे-बाजे के साथ हुआ समापन
15 दिसंबर को छिंदिया में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का विसर्जन भव्य समारोह के साथ संपन्न हुआ। समापन दिवस पर पूर्णाहुति के बाद राधा-कृष्ण की भव्य झांकी निकाली गई। गाजे-बाजे के साथ श्रद्धालु झांकी में शामिल हुए और पूरा गांव भक्तिमय वातावरण से भर गया। श्रद्धालु झूमते-गाते हुए झांकी के साथ आगे बढ़े और नम आंखों से कथा का विसर्जन किया।
बेहतरीन व्यवस्था ने किया आयोजन को यादगार
कथा स्थल पर उत्कृष्ट व्यवस्थाओं ने श्रद्धालुओं के लिए भक्ति का अनुभव और भी आनंदमय बना दिया। बैठने के लिए सुसज्जित स्थान, उच्च गुणवत्ता वाला साउंड सिस्टम, और उत्तम भोजन-प्रसाद की व्यवस्था ने आयोजन को सफल बनाया। कथा के दौरान मधुर भजनों और संगीत ने उपस्थित भक्तों को भक्ति के सागर में डुबो दिया।
आयोजन के अंतिम दिनों में श्रद्धालुओं की संख्या हजारों तक पहुंच गई। पूर्णाहुति के साथ समापन दिवस पर श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ ने कार्यक्रम की सफलता का प्रमाण दिया। इसके बाद यज्ञ की समाप्ति और झांकी के विसर्जन के दौरान भक्तों की आंखें भक्ति और भावनाओं से भरी रहीं।
आयोजन की सफलता के पीछे आयोजन
समिति का अथक परिश्रम छिपा था। समिति ने न केवल व्यवस्था सुनिश्चित की, बल्कि क्षेत्र के युवाओं और ग्रामीणों को आयोजन से जोड़कर भक्ति और सांस्कृतिक एकता का संदेश भी दिया।
यह आयोजन छिंदिया के धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास में एक यादगार अध्याय बन गया। श्रद्धालुओं ने कहा कि यह कथा न केवल भक्ति का अनुभव थी, बल्कि जीवन को सही दिशा देने वाली प्रेरणा भी। आयोजकों और महाराज जी के प्रयासों ने इस कार्यक्रम को दिव्यता और आध्यात्मिकता से भर दिया।