ब्यूरो रिपोर्ट
सूरजपुर, आंचलिक न्यूज। सूरजपुर जिले के प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में दंतैल हाथी का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है। चार दिनों के भीतर हाथी ने 21 घरों को तोड़कर भारी नुकसान पहुंचाया है, साथ ही मवेशियों पर भी हमला किया। ग्रामीण लगातार दहशत के माहौल में जीने को मजबूर हैं, जबकि वन विभाग की लापरवाही और हाथी मित्र दल की नाकामी पर सवाल उठ रहे हैं।
चौथे दिन का कहर: चंद्रपुर और खड़गवां में नुकसान
बुधवार रात दंतैल हाथी ने चंद्रपुर गांव में मैनेजर साहू की मोटरसाइकिल को पटककर तोड़ दिया। साहू ने बताया कि घटना के वक्त वह अपने आंगन में खाना खा रहे थे और उनकी हीरो होंडा मोटरसाइकिल घर के बाहर खड़ी थी। इसके बाद हाथी ने पण्डोपारा खड़गवां में चार घरों की दीवारें गिरा दीं। इनमें शिवनारायण आत्मज लिखू राम, रामप्रकाश आत्मज रामनारायण, सिरीमती स्वर्गीय रामकुमार, और देवसाय आत्मज स्वर्गीय झम्मल के घर शामिल हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग द्वारा हाथी की सही लोकेशन की जानकारी समय पर नहीं दी जा रही, जिसके कारण ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं।
मंगलवार की घटना: पांच घर और मवेशियों पर हमला
तीसरे दिन मंगलवार रात, दंतैल हाथी ने बोझा गांव के ब्राह्मण मोहल्ले में तांडव मचाया। सत्ता सरई में सब्जी की बाड़ी को नुकसान पहुंचाने के बाद हाथी ने गांव में प्रवेश कर पांच घरों की दीवारें गिरा दीं।
बंटेश्वर मिश्रा, विजय मिश्रा, और धरमजीत मिश्रा के घरों को नुकसान पहुंचा।
प्रकाश मिश्रा के घर की दीवार गिरने से पलंग और अन्य सामान क्षतिग्रस्त हो गया।
नरेंद्र मिश्रा के घर के बाहर बंधी गाय और भैंस पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया।
ग्रामीणों का आरोप: वन विभाग की लापरवाही
ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग केवल हाथी मित्र दल के भरोसे चल रहा है, जो पूरी तरह प्रशिक्षित नहीं हैं। हाथी मित्र दल हाथी की लोकेशन और सुरक्षा को लेकर सटीक जानकारी देने में विफल हो रहा है। वन विभाग की इस लापरवाही के कारण ग्रामीणों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है।
ग्रामीणों में दहशत
लगातार हो रहे हमलों के कारण ग्रामीण रातों में सोने से डर रहे हैं। कई परिवार अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण ले रहे हैं। हाथी के हमलों से जहां ग्रामीणों का जीवन संकट में है, वहीं उनकी संपत्ति और मवेशी भी खतरे में हैं।
वन विभाग की निष्क्रियता
वन विभाग की ओर से अब तक दंतैल हाथी को काबू में करने या ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। विभाग का सारा कामकाज केवल हाथी मित्र दल पर निर्भर है, जो स्थिति को संभालने में नाकाम साबित हो रहा है।
जरूरत ठोस कार्रवाई की
हाथी के उत्पात को रोकने और ग्रामीणों को राहत देने के लिए वन विभाग को तत्काल प्रभाव से ठोस कदम उठाने होंगे। प्रशिक्षित कर्मियों की तैनाती, हाथी को नियंत्रित करने की रणनीति और प्रभावित परिवारों को मुआवजा देना समय की मांग है।
सरकार और प्रशासन से अपील
ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन से अपील की है कि वे इस समस्या का स्थायी समाधान निकालें। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी भयावह हो सकती है।