क्या डॉ. प्रताप तोड़ पाएंगे कांग्रेस का किला? जरही नगर पंचायत चुनाव में नई कहानी लिखने की चुनौती, संघ की जड़ें और डॉ. प्रताप का नेतृत्व: क्या भाजपा के लिए जीत का मार्ग प्रशस्त होगा?


क्या डॉ. प्रताप तोड़ पाएंगे कांग्रेस का किला? जरही नगर पंचायत चुनाव में नई कहानी लिखने की चुनौती, संघ की जड़ें और डॉ. प्रताप का नेतृत्व: क्या भाजपा के लिए जीत का मार्ग प्रशस्त होगा?

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ब्यूरो रिपोर्ट 
सूरजपुर, आंचलिक न्यूज। नगर निकाय का चुनावी बिगुल फूंका जा चुका है। जिले का जरही नगर पंचायत सत्ताधारी दल भाजपा के लिए बेहद ही संवेदनशील है क्योंकि यह नगर पंचायत कांग्रेस का गढ़ माना जाता है हालांकि इस विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार शकुंतला सिंह पोर्ते को यहां से बढ़त मिली थी, लेकिन नगर पंचायत चुनाव स्थानीय मुद्दों की वजह से कठिन है, प्रतापपुर विधानसभा की तेज तर्रार  विधायक श्रीमती शकुंतला सिंह पोर्ते भी इस बार यही चाहेंगी कि जरही में कांग्रेस का किला ध्वस्त हो जाए।अमूमन ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां मतदाताओं की संख्या मात्र करीब 4500 है। इस बार अध्यक्ष पद की दावेदारी अन्य पिछड़ा वर्ग मुक्त होने के बाद और भी खास हो गयी है इस बार दावेदारी रजवार समाज, जयसवाल समाज, गुप्ता समाज से ज्यादा हो रही है जरही बस्ती में तो रजवार समाज में आपस में ही द्वंद चरम पर पहुंच गया ऐसे में भाजपा के लिए यदि जीत सुनिश्चित करना है तो नया चेहरा इस गुटबाजी के बीच है आ सकता है, भाजपा को इस बार कांग्रेस का किला ढहाना होगा ऐसे में वर्षों से संघ में जुड़े डॉ प्रताप की लोकप्रियता जो गरीबों का इलाज मुफ्त मे करने के साथ छत्तीसगढ़ राज्य में पत्रकारिता जगत के चमकते सितारे माने जाते हैं जो कांग्रेस काल में किया गए भ्रष्टाचार को लगातार उठा रहे हैं । ऐसे में डॉ प्रताप की छवि नगर पंचायत जरही में कांग्रेस का तिलिस्म तोड़ने में बेहद अहम हो सकती है। डॉ प्रताप भारतीय जनता पार्टी के चिकित्सा प्रकोष्ठ में रहते हुए आसपास के ग्रामीण तथा नगर निकाय अंतर्गत निशुल्क चिकित्सा शिविर भी लगाते रहे हैं।
 डॉ प्रताप की पत्नी भगवती चंद्रा ओबीसी समुदाय से आती हैं जो छत्तीसगढ़ की मूल निवासी भी हैं इनके दादा सेत राम चंद्रा संघ परिवार की विचारधारा से 1972 से ही जुड़े हुए है, जिन्होंने अपने क्षेत्र में हिंदुत्व के लिए ऐतिहासिक कार्य किए हैं‌। 
भगवती चंद्रा पेशे से एक महिला चिकित्सा सहायक (एएनएम) है जो महिलाओं के बीच एक अलग स्थान रखती हैं।
डॉ प्रताप के नेतृत्व में1999 - 2000 में जरही चौक पर आमरण अनशन किया गया था जिसमें जरही बस्ती के 53 किसानों को भूमि के एवज में एसईसीएल के द्वारा नौकरी तथा मुआवजा मिल सका था। छात्र जीवन से ही विद्यार्थियों की समस्याओं के लिए कई बार इन्होंने आंदोलन किया था।
संघ में इनकी गतिविधियां भी रोमांचक है संघ की प्राथमिक वर्ग शिक्षा सीआईएमटी भिलाई से लेने के बाद इन्हें प्रतापपुर विकासखंड महाविद्यालय प्रमुख की जिम्मेदारी दी गई फिर बौद्धिक प्रमुख रहने के दौरान इन्होंने प्रतापपुर में संघ का सफल पथ संचलन लंबे अंतराल के बाद प्रारंभ कराया। स्थानीय तौर पर युवा वर्ग, बुजुर्ग समुदाय, महिलाओं तथा छोटे तबके के लगभग सभी घरों तक इनकी पहुंच संवेदन शील है। ऐमें में यह कहा जा सकता है की डॉ प्रताप की लोकप्रियता इस छोटे से नगर पंचायत में भाजपा के लिए अहम हो सकती है। 
अब देखना होगा भारतीय जनता पार्टी भारी गुटबाजी के बीच किस नये चेहरे को जिताऊ प्रत्याशी के रूप में सामने लाती है।

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