दशरथ अग्रहरि
बिहारपुर, आंचलिक न्यूज। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल रकसगंडा जलप्रपात पर मकर संक्रांति के अवसर पर दो दिवसीय मेले का आयोजन किया जाएगा। यह मेला 14 और 15 जनवरी को आयोजित होगा, जिसमें हजारों की संख्या में सैलानी शामिल होंगे। यह जलप्रपात अपनी प्राकृतिक सुंदरता और मनोरम दृश्यों के लिए जाना जाता है और मकर संक्रांति के मौके पर यहां का वातावरण त्योहार जैसा बन जाता है।
पर्यटन का प्रमुख आकर्षण: रकसगंडा जलप्रपात
रकसगंडा जलप्रपात बलरामपुर और सूरजपुर जिलों के बीच स्थित है, जो जिला मुख्यालय से 110 किमी की दूरी पर है। यह जलप्रपात रिहंद रेण नदी पर स्थित है, जहां ऊंचाई से गिरते पानी की धारा पर्यटकों को आकर्षित करती है। पानी के गिरने से बने गहरे कुंड और इसके नीचे स्थित 100 मीटर लंबी सुरंग को देखना पर्यटकों के लिए रोमांचकारी अनुभव होता है। सुरंग के अंत में रंग-बिरंगा जल छिड़काव इसे और भी आकर्षक बनाता है।
शीतलहर शुरू होने के साथ ही रकसगंडा जलप्रपात पर सैलानियों की भीड़ जुटने लगी है। नव वर्ष की शुरुआत से ही उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं। मकर संक्रांति पर यहां का माहौल और भी खास हो जाता है।
दो दिवसीय मेले में होगी रौनक
मकर संक्रांति के मौके पर आयोजित होने वाले मेले में हर साल बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं। इस दौरान स्थानीय और बाहरी पर्यटक झरने का आनंद लेने के साथ मेले की रौनक में शामिल होते हैं। मेले में स्थानीय व्यंजन, हस्तशिल्प, और सांस्कृतिक गतिविधियां पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन की संभावनाएं
रकसगंडा जलप्रपात छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां का शांत वातावरण और प्राकृतिक सौंदर्य सैलानियों को मंत्रमुग्ध कर देता है। ऊंचाई से गिरता झरना, हरियाली से घिरा क्षेत्र और ठंडी हवाएं इसे एक आदर्श पिकनिक स्थल बनाती हैं।
सुरक्षा और व्यवस्था पर प्रशासन की नजर
मकर संक्रांति पर बढ़ती भीड़ को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और पर्यटकों की सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। जलप्रपात के कुंड की गहराई और सुरंग की संरचना को देखते हुए प्रशासन ने सैलानियों को सतर्क रहने और सुरक्षा निर्देशों का पालन करने की अपील की है।
मकर संक्रांति के अवसर पर यहां आयोजित मेले से स्थानीय व्यापारियों और दुकानदारों को भी फायदा होता है। मेले में स्थानीय उत्पादों की बिक्री और पर्यटन की गतिविधियां क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देती हैं।
रकसगंडा जलप्रपात पर बढ़ती सैलानी गतिविधियों के साथ पर्यावरण संरक्षण भी एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। प्रशासन और पर्यावरण प्रेमियों ने सैलानियों से अपील की है कि वे क्षेत्र की स्वच्छता और प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने में सहयोग करें।
मकर संक्रांति पर रकसगंडा जलप्रपात में आयोजित होने वाला दो दिवसीय मेला पर्यटकों और स्थानीय निवासियों के लिए एक बड़ा आकर्षण है। प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक आयोजनों का यह संगम सैलानियों को अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करता है। यदि आप भी प्रकृति की गोद में समय बिताना चाहते हैं, तो यह मेला आपके लिए बेहतरीन अवसर हो सकता है।