राष्ट्रीय विरासत पशु की अनदेखी क्यों? – वैभव जगने,, वन विभाग में विश्व हाथी दिवस का जिक्र तक नहीं, संरक्षण के दावे खोखले!


राष्ट्रीय विरासत पशु की अनदेखी क्यों? – वैभव जगने,, वन विभाग में विश्व हाथी दिवस का जिक्र तक नहीं, संरक्षण के दावे खोखले!

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चंद्रिका कुशवाहा 

नवा रायपुर, आंचलिक न्यूज। वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर बड़े-बड़े दावे करने वाले वन विभाग की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है। हाथी शुभचिंतक वैभव जगने ने वन विभाग की गंभीर अनदेखी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने बताया कि 2010 से हाथियों को राष्ट्रीय विरासत पशु का दर्जा दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद वन विभाग की ओर से हाथियों के संरक्षण और सम्मान को लेकर उदासीनता दिखाई जा रही है।

सोमवार को वैभव जगने निजी काम से नवा रायपुर स्थित अरण्य भवन, वन मुख्यालय पहुंचे। वहां उन्होंने भवन की तीसरी मंजिल पर वन्यजीव दिवस का एक बोर्ड देखा, जिसमें विभिन्न महत्वपूर्ण दिवसों का उल्लेख किया गया था। लेकिन 12 अगस्त – विश्व हाथी दिवस का कहीं भी उल्लेख नहीं था।

"संरक्षण की बातें, लेकिन असली सम्मान नहीं!"

उन्होंने इस लापरवाही पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, "एक तरफ राज्य सरकार हाथियों के संरक्षण को लेकर बड़े-बड़े आयोजन कर रही है, देश-विदेश के विशेषज्ञों को बुलाया जा रहा है, और दूसरी तरफ वन मुख्यालय में ही राष्ट्रीय विरासत पशु का जिक्र तक नहीं! यह हाथियों का घोर अपमान है।"

वैभव जगने ने आगे कहा कि हाथी को प्रकृति का माली कहा जाता है, यह हमारे पूर्वजों और संस्कृति से गहराई से जुड़ा हुआ जीव है। लेकिन जिस वन्यजीव को बचाने की बातें सरकार कर रही है, उसी का नाम महत्वपूर्ण बोर्ड पर दर्ज नहीं करना यह साबित करता है कि वन विभाग खुद ही अपने दायित्वों के प्रति गंभीर नहीं है।

"क्या वन विभाग को पता भी है कि विश्व हाथी दिवस होता है?"

उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि "इतने अनुभवी अधिकारी वहां बैठे हैं, क्या उनकी नजर कभी इस बोर्ड पर नहीं पड़ी? क्या जानबूझकर राष्ट्रीय विरासत पशु को अनदेखा किया जा रहा है? यदि ऐसा है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है।"

वैभव जगने ने इस विषय पर वन विभाग से स्पष्टीकरण की मांग करते हुए कहा कि इस गलती को तुरंत सुधारा जाना चाहिए और भविष्य में राष्ट्रीय विरासत पशु का उचित सम्मान सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।

"सिर्फ संरक्षण की बातें करने से कुछ नहीं होगा, अगर असली सम्मान ही नहीं दिया जाएगा!"

"राष्ट्रीय विरासत पशु की अनदेखी बंद हो!"

अब सवाल यह उठता है कि क्या वन विभाग इस गंभीर चूक को सुधारने के लिए कोई कदम उठाएगा, या फिर यह मामला भी अन्य सरकारी लापरवाहियों की तरह दबकर रह जाएगा? अगर हाथियों के संरक्षण और सम्मान को लेकर यही रवैया जारी रहा, तो 'राष्ट्रीय विरासत पशु' का दर्जा सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह जाएगा!"

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