अविनाश कुशवाहा
प्रतापपुर, सूरजपुर, आंचलिक न्यूज। कभी न भूलने वाला दिन था जब प्रतापपुर के मासूम रिशु कश्यप की नृशंस हत्या ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया था। एक सामान्य परिवार का मासूम बेटा, जिसकी जिंदगी बेरहमी से छीन ली गई थी — आज उसी पीड़ित परिवार को मुख्यमंत्री सहायता योजना के अंतर्गत ₹5,00,000 की आर्थिक मदद दी गई है।
यह संभव हो सका है क्षेत्रीय विधायक श्रीमती शकुंतला सिंह पोर्ते के लगातार जनहितैषी प्रयासों और प्रशासन पर उनके प्रभावशाली संवाद के कारण। विधायक ने इस प्रकरण को सिर्फ एक ‘केस’ नहीं, एक मां-बाप के टूटे हुए भरोसे की लड़ाई समझा।
रिशु की मौत नहीं, व्यवस्था की असंवेदनशीलता का भी मामला था
रिशु हत्याकांड केवल एक बच्चे की हत्या नहीं थी – यह पूरे प्रतापपुर की आत्मा पर चोट थी। जनता सड़कों पर उतरी थी, आक्रोश भड़का था, और न्याय की मांग ने पूरे अंचल में हलचल मचा दी थी। लेकिन प्रशासनिक चुप्पी और देरी ने मामले को और भी दर्दनाक बना दिया था।
इसी संवेदनशीलता को समझते हुए विधायक पोर्ते ने सीधे मुख्यमंत्री से इस मामले में सहायता की मांग की थी। उन्होंने रिशु के माता-पिता से कई बार मुलाकात की, उन्हें दिलासा दिया और विधानसभा में भी यह मुद्दा उठाने की घोषणा की थी।
विधायक ने स्वयं पिता अशोक कश्यप को सौंपी सहायता राशि
सोमवार को प्रतापपुर में आयोजित एक विशेष समारोह में विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते ने स्व. रिशु कश्यप के पिता श्री अशोक कश्यप को मुख्यमंत्री सहायता योजना के तहत ₹5 लाख की राशि का चेक सौंपा। इस मौके पर माहौल बेहद भावुक था।
विधायक ने कहा –
"पैसे से रिशु वापस नहीं आएगा, लेकिन हम आपका साथ कभी नहीं छोड़ेंगे। यह सहायता राशि एक संकेत है कि शासन आपकी पीड़ा को समझता है और आपके साथ है।"
जनता ने सराहा विधायक का मानवीय दृष्टिकोण
विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते की संवेदनशीलता, पीड़ित परिवार के साथ खड़े होने का साहस और बिना किसी राजनीतिक स्वार्थ के न्याय की मांग करना – आज पूरे इलाके में उनकी पहचान बन चुकी है। इस दौरान विधायक के साथ प्रतापपुर मंडल अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
ग्रामवासी, सामाजिक कार्यकर्ता और रिश्तेदारों ने विधायक को धन्यवाद ज्ञापित किया और प्रशासन से मांग की कि इस तरह के मामलों में तुरंत सहायता और न्याय सुनिश्चित हो।
अब भी न्याय अधूरा, लेकिन उम्मीद जीवित है
रिशु के माता-पिता की आंखों में आज थोड़ा सुकून था, लेकिन सवाल अब भी वही है –
"क्या हमारा रिशु वापस आ सकता है?"
नहीं, लेकिन अब शासन और समाज की जिम्मेदारी है कि दोबारा कोई रिशु इस दुनिया से यूँ न जाए।