नरेंद्र मिश्रा, बलरामपुर।
आंचलिक न्यूज। बलरामपुर जिले के रघुनाथनगर में एक मासूम बच्चे की सर्पदंश के बाद समय पर इलाज न मिलने से हुई मौत ने पूरे क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। यह घटना संविधान में संरक्षित और "राष्ट्रपति के दत्तकपुत्र" कहे जाने वाले पण्डो जनजाति के साथ हुई है, जिससे सामाजिक आक्रोश और पीड़ा और भी अधिक बढ़ गई है।
साजन, पिता रामबली, उम्र लगभग 6 वर्ष, जाति – पण्डो, निवासी रघुनाथनगर क्षेत्र, को सांप ने काट लिया था। परिजन उसे तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, रघुनाथनगर लेकर पहुंचे, लेकिन वहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। अस्पताल के स्टाफ ने बच्चे को इलाज के लिए डॉक्टर के निजी क्लिनिक भेज दिया।
दो घंटे तक तड़पता रहा मासूम, डॉक्टर ने फिर अस्पताल लौटा दिया
बच्चे को जब निजी क्लिनिक ले जाया गया, वहां इलाज में देरी होती रही। हालत बिगड़ती देख डॉक्टर ने बच्चे को वापस सरकारी अस्पताल भेजा, जहां इंजेक्शन लगते ही मासूम ने दम तोड़ दिया। परिजनों का कहना है कि अगर डॉक्टर अस्पताल में होते और समय पर इलाज मिल गया होता, तो साजन की जान बचाई जा सकती थी।
ग्रामीणों में भारी आक्रोश, उठी कार्रवाई की मांग
घटना के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। लोगों ने डॉक्टर की कर्तव्य विमुखता और निजी क्लिनिक में ड्यूटी समय में उपस्थित रहने की प्रवृत्ति की कड़ी निंदा की है। ग्रामीणों का कहना है कि यह घोर लापरवाही और मानवता के खिलाफ अपराध है।
यह सिर्फ एक मौत नहीं, सिस्टम की नाकामी की गवाही है
यह घटना सिर्फ एक मासूम की मौत नहीं, बल्कि उस बीमार और उपेक्षित स्वास्थ्य प्रणाली की चीखती तस्वीर है, जो आदिवासी और दूरस्थ क्षेत्रों में लोगों को लाचार छोड़ देती है।
स्थानीय प्रशासन से ग्रामीणों की मांग:
- दोषी डॉक्टर को तत्काल निलंबित किया जाए।
- सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की 24x7 उपस्थिति सुनिश्चित की जाए।
- ड्यूटी समय में निजी क्लिनिक में बैठे डॉक्टरों पर प्रतिबंध लगे।
जब संविधान में विशेष अधिकार प्राप्त समुदाय के बच्चे को भी न्याय और उपचार नहीं मिल पा रहा, तो सवाल ये है कि सिस्टम आखिर किनके लिए है? यह घटना केवल प्रशासन की नहीं, बल्कि समाज की भी सामूहिक विफलता है।