ब्यूरो रिपोर्ट
सूरजपुर, आंचलिक न्यूज। आकांक्षी ब्लॉक प्रतापपुर, जिसे आदर्श जनपद के रूप में पहचान मिलनी चाहिए थी, वहां भ्रष्टाचार और विवादित अधिकारियों की नियुक्ति ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। शासन-प्रशासन की इस कार्यप्रणाली से स्थानीय जनप्रतिनिधि और ग्रामीण आक्रोशित हैं।
पिछले कुछ वर्षों में प्रतापपुर जनपद पंचायत की छवि गंभीर रूप से धूमिल हुई है। यहां ईडी प्रकरण में गिरफ्तार चर्चित अधिकारी मिर्जा साहब की नियुक्ति ने जनपद को शर्मसार किया। बाद में डॉ. नृपेंद्र सिंह जैसे सक्रिय, निष्पक्ष और सख्त अनुशासन वाले अधिकारी ने कार्यभार संभालते ही जनपद की कार्यशैली में सकारात्मक बदलाव लाया। प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा और अन्य विकास कार्यों में पारदर्शिता आई तथा भ्रष्टाचार पर नकेल कसी गई।
लेकिन सत्ता संरक्षण प्राप्त कुछ नेेता व भ्रष्ट अधिकारियों की लॉबी को यह रास नहीं आया। परिणामस्वरूप कुछ ही महीनों में शासन ने डॉ. नृपेंद्र सिंह का तबादला कर दिया और एक बार फिर प्रतापपुर की कमान विवादित अधिकारी को सौंप दी।
इस बार शासन ने प्रतापपुर का प्रभार जय गोविंद गुप्ता को सौंपा है। जबकि उनके खिलाफ जनपद पंचायत मैनपाट में प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि गबन करने का गंभीर आरोप है। थाना कमलेश्वरपुर में उनके विरुद्ध अपराध क्रमांक 55/24 धारा 420, 409 भादवि के तहत प्रकरण दर्ज है और मामला वर्तमान में उच्च न्यायालय बिलासपुर में विचाराधीन है। ऐसे में उनकी नियुक्ति ने प्रतापपुर की गरिमा और विश्वसनीयता को फिर कटघरे में खड़ा कर दिया है।
इस विवादित नियुक्ति का विरोध अब तेज हो गया है। जनपद पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सुखमनिया सिंह, उपाध्यक्ष, अनेक जनपद सदस्य और बड़ी संख्या में सरपंचों ने रायपुर पहुंचकर मुख्य सचिव, आदिम जाति कल्याण विभाग को ज्ञापन सौंपा है। इसमें मांग की गई है कि प्रतापपुर जैसे संवेदनशील और आकांक्षी ब्लॉक में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अधिकारी की पदस्थापना तत्काल निरस्त की जाए।
जनप्रतिनिधियों ने साफ चेतावनी दी है कि – “विवादित सीईओ हटाओ, प्रतापपुर बचाओ” अब सिर्फ नारा नहीं रहेगा, बल्कि आंदोलन का बिगुल बनेगा। यदि शासन ने जल्द संज्ञान नहीं लिया तो प्रतापपुर की धरती जनाक्रोश का केंद्र बनेगी और उग्र आंदोलन की राह पर बढ़ेगी।
ग्रामीणों का भी कहना है कि प्रतापपुर की पहचान भ्रष्टाचार और विवादित अधिकारियों से नहीं, बल्कि विकास और पारदर्शिता से होनी चाहिए। यदि शासन वास्तव में आकांक्षी ब्लॉक को विकास की दिशा में आगे ले जाना चाहता है, तो सबसे पहले विवादित सीईओ को हटाकर ईमानदार और निष्पक्ष अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी।