ब्यूरो कार्यालय
सूरजपुर, आंचलिक न्यूज। प्रतापपुर क्षेत्र में स्कूलों का नया सत्र प्रारंभ हो गया मगर अब तक स्कूल का मनमानी पर कार्यवाही नहीं हो सकी है। जांच के नाम से कुछ स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी की गई मगर आज तक कई बिंदुओं में अव्यवस्था पाये जाने के बाद भी कार्यवाही नहीं हो पाई और फिर से नया एडमिशन स्कूलों का प्रारंभ हो गया, जिसमें जिले की अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध और साफ-साफ स्कूल प्रबंधन का लेन देन मामला सामने आ रहा है।
कई बार खबर प्रकाशन के बाद भी "नहीं जागे शिक्षा विभाग के अधिकारी, मनमानी रवैया से प्राइवेट स्कूल बच्चों के भविष्य संवारने के नाम पर कर रहे शिक्षा का व्यवसाय" कारण ज्ञात हो आखिर ऐसी क्या बात है। जो शिक्षा विभाग में व्यापक पैमाने पर नियम की धज्जियां उड़ाकर भी संचालित हो रहे हैं प्राइवेट स्कूल। सूत्रों की माने तो मोटी रकम का लेनदेन कर शिकायत को भी दबाने की बात आती है सामने।
प्राइवेट स्कूल एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मोटी रकम के साथ गांठ से जहां मन वहां स्कूल प्रतापपुर विकासखंड में खोला जा सकता है क्योंकि नियम कानून को ताक में रखते हुए मोटी रकम के लेनदेन के बाद में अधिकारियों एवं प्राइवेट स्कूल प्रबंधन के द्वारा शासन के अहम बिंदुओं पर एवं नियम का धज्जी उड़ाते हुए कई तरह के व्यवस्थाओं के बीच चार कमरा पांच कमरा के मकान में स्कूल संचालित हो रहे हैं ना खेलकूद के प्लेग्राउंड ना प्रशिक्षित शिक्षा प्राप्त किए हुए टीचर ना लेटरिंग ना बाथरूम,ना प्लेग्राउंड सहित प्राइवेट स्कूलों में कई तरह के व्यवस्थाओं सहित शासन प्रशासन को चुनौती देते हुए प्राइवेट स्कूल एवं अधिकारियों के साथ साठ गाठ से प्रतापपुर विकासखंड क्षेत्र में यह गोरख धंधा 25 के आश पाश की संख्या में चल रहा है।
परिजनों की यदि माने तो प्राइवेट,, स्कूल का फीस अनाप-शनाप वसूल की जा रही है जहां पूर्ण रूप से शिक्षा दिए बिना ही प्रशिक्षित टीचर नहीं होने के बावजूद भी लोकल टीचर से कार्य कराना ना सही तरीके से सुविधा शासन के मुख्य बिंदुओं के आधार पर मुहैया नहीं हो पा रहा है। ना बच्चों का सर्वांगीण विकास हो पा रहा है। ना बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक उसके बावजूद शिक्षा विभाग में पैसे का खेल का गोरख धंधा निरंतर फल फूल रहा है कक्षा पहली से पांचवी,, पांचवी क्लास से लेकर 12वीं क्लास तक के प्राइवेट स्कूलों की संख्या प्रतापपुर में निरंतर बढ़ती जा रही है ना ठीक ढंग से प्लेग्राउंड है। ना शिक्षा का मानक स्तर है उसके बावजूद भी अनाप-शनाप दर पर ग्रामीण क्षेत्र के लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला कराने के लिए खून के आंसू रो रहे हैं। जहां छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षा से संबंधित सभी प्रकार के व्यवस्थाओं को मुहैया कराने के बाद में ही स्कूल खोलने का आदेश जारी करता है वही मोटी रकम के लेनदेन के बाद में किस तरह का गोरख धंधा प्रतापपुर विकासखंड क्षेत्र में अधिकारियों के नाक के नीचे हो रही है जो मुख्य दर्शक बने हुए हैं।
अनाप-शनाप फिश के कारण,, आम नागरिक ग्रामीण गरीब किसान फीस भरते भरते अपने आर्थिक स्थिति से जूझ रहा है हर कोई चाहता है कि मेरे बच्चे का एडमिशन प्राइवेट स्कूल के अच्छे संस्था में हो जाता मगर बिना किसी प्रशिक्षित टीचर एवं छोटे-छोटे मकान में शिक्षा का गोरख धंधा फल फूल रहा है प्रतापपुर मुख्यालय की बात करें तो आठवी से लेकर 12वीं क्लास के पी जितने भी स्कूल हैं वह सभी 8 डेसिमल 12 डिसमिल जमीन में लगाई जा रहे हैं ना स्कूल का अपना कोई सुविधा नहीं रहने के बाद भी अधिकारियों के संरक्षण में कमाई का जरिया और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ क्षेत्र में बना हुआ है जिस पर तत्काल रोक लगाए जाने की मांग हो रही है नहीं तो आने वाले समय में आम नागरिक कोर्ट के शरण में जाएंगे जिससे इस तरह की गोरख धंधा और शिक्षा के प्रति हो रहे गंभीर लापरवाही के कारण बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ तो किया जा रहा है वहीं शासन प्रशासन की आंखों में धूल झोंक कर अपने करतूत को छुपा कर लाखों करोड़ों रुपए सालाना कमाई का अड्डा बनाए हुए हैं।
नहीं देते अधिकारी इस पर ध्यान,, प्राइवेट स्कूल के चल रहे इस गोरख धंधा से सूत्रों से माने तो एक स्कूल से लाखों का लेनदेन हो जाता है जिसके कारण स्वयं का भूमि नहीं रहने पर दूसरे का भूमिका एग्रीमेंट कर कुछ डिसमिल जमीन पर स्कूल बनाकर अनाप-शनाप कि वसूली की जा रही है तथा प्रशिक्षित टीचर शाहिद छत्तीसगढ़ शिक्षा मंडल के अनुरूप एक भी स्कूल संचालित नहीं हो रहा है।इसमें अधिकारी पूर्ण रूप से इस भ्रष्टाचार को अंजाम देने के लिए स्कूल प्रबंधन से मिले होते हैं। जो उनके कारनामों में परदा डालते हैं। और शिक्षा के व्यवसाय कारण होने के बाद ग्रामीण अपने बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए परेशान है।
हैरत करने वाली बात यह है की जहां स्कूल इंग्लिश मीडियम के साथ में सीबीएसई कोर्स के लिए कई तरह के उपकरण साधन लैब इत्यादि के लिए कंप्यूटर से लेकर कई तरह के प्रयोगशाला सहित टीचर की आवश्यकता पड़ती है मगर सीबीएसई कोर्स के नाम से धांधली चल रही है। ना बच्चों का प्रशिक्षित टीचर है ना इस तरह की कोई सुविधा।
मीडियम क्लास ग्रामीण क्षेत्र के अभिभावक एक दो साल पढ़ने के बाद हो जा रहे हैं हलकान कई लोगों ने तो प्राइवेट स्कूल से बच्चों का नाम कटवाया शिक्षा का स्तर बद से बत्तर होता जा रहा है वही अनाप-शनाप फीस से शासन प्रशासन पर भी सवाल उठने लगे हैं। लोगों ने कहा कि जो कांग्रेस सरकार में होता था क्या वहीं भाजपा सरकार में भी होगा, अंधेर नगरी चौपट राजा।
इनका कहना है..
इस विषय में जिला शिक्षा अधिकारी राम ललित पटेल ने कहा कि तत्काल पूर्व में ही इसकी जांच के लिए टीम गठित की गई थी विकासखंड शिक्षा अधिकारी को एवं सूरजपुर के जिला टीम मैं पता करता हूं। जांच टीम गठित कर भेज कर जांच कर कड़ी कार्रवाई करता हूं। शासन के नियमों के विपरीत स्कूल लगने पर सक्त कार्यवाही की जाएगी।
इस विषय में विकासखंड शिक्षा अधिकारी मुन्नू सिंह ध्रुव ने कहा कि जितने भी स्कूल हैं। शासन के नियम के विपरीत हैं जिसका रजिस्ट्रेशन कैंसिल करने के लिए कई बार जिले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के समक्ष बताई गई है। तथा जांच प्रतिवेदन पेश किया गया है। उच्च अधिकारी ही बता पाएंगे कि क्यों अब तक कार्रवाई नहीं हुआ।