ब्यूरो रिपोर्ट
सूरजपुर, आंचलिक न्यूज। जिला जजावल क्षेत्र के किसानों ने अपनी मांगों को लेकर 20 नवंबर को चंदौरा मुख्य मार्ग पर बड़े स्तर पर धरना प्रदर्शन और चक्का जाम किया। इस प्रदर्शन में ग्राम पंचायत जजावल, गोरगी, चिकनी, मयूरधक्की, अंजनी, गिरिया, दरहोरा और भुडूंपानी से लगभग 5-6 सौ किसान शामिल हुए। किसानों ने प्रशासन पर उनकी लंबे समय से लंबित मांगों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे।
धान खरीदी केंद्र खोलने की मांग पर अड़े किसान
किसानों की प्रमुख मांग है कि जजावल क्षेत्र में धान खरीदी केंद्र खोला जाए। उनका कहना है कि वर्तमान धान खरीदी केंद्र चंदौरा में स्थित है, जो इन पंचायतों से काफी दूर है। किसानों को वहां तक पहुंचने में जर्जर और गड्ढों से भरी सड़कों के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इससे परिवहन का खर्च बढ़ जाता है और धान ले जाने वाले वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने का भी खतरा रहता है।
किसानों ने बताया कि इस समस्या को लेकर उन्होंने प्रशासन को कई बार आवेदन दिया है और उनके आवेदन को स्वीकृति भी मिली है, लेकिन अब तक केंद्र खोलने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
धरना प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने हाईवे पर जाम को हटाने के लिए सख्त कार्रवाई की, जिससे पुलिस और किसानों के बीच झूमाझटकी की स्थिति पैदा हो गई। पुलिस को स्थिति संभालने के लिए अतिरिक्त बल बुलाना पड़ा। हालांकि, एसडीएम ने मौके पर पहुंचकर किसानों को समझाइश दी और उनकी मांगों को तीन दिन के भीतर पूरा करने का लिखित आश्वासन दिया।
तीन दिनों का अल्टीमेटम, फिर अनिश्चितकालीन आंदोलन की चेतावनी
आश्वासन मिलने के बाद किसानों ने धरना प्रदर्शन समाप्त कर दिया। किसानों ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि तीन दिनों के भीतर उनकी मांग पूरी नहीं होती है, तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे, जिसमें अनिश्चितकालीन हड़ताल और चक्का जाम भी शामिल होगा।
धरने में गोवर्धन राजवाड़े, सुदामा राम यादव, सूरज, श्यामलाल सरपंच, धनंजय, कृष्णा, संजय, रामावतार, विधनाथ, साधु सरन, संतोष, हरिहर, कमलेश, तोमन सहित सैकड़ों किसान उपस्थित रहे।
किसानों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन के परिणामों की जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। साथ ही, उन्होंने अपने कर्ज माफी की भी मांग की, अगर उनकी धान बेचने की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया।
किसानों के इस आंदोलन ने प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। अब देखना यह है कि तीन दिनों में उनकी मांगों पर कितना अमल होता है।