चंद्रिका कुशवाहा
कोरिया/ सूरजपुर, आंचलिक न्यूज। ग्राम छिंदिया में 7 दिसंबर से 15 दिसंबर तक चल रहे श्री श्री सार्वजनिक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन श्रद्धा और भक्ति के अनूठे संगम के रूप में हर दिन नई ऊंचाई छू रहा है। इस आयोजन में प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित राकेश शुक्ला 'अयोध्या वाले महाराज जी' अपनी सरस वाणी से श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति रस में सराबोर कर रहे हैं।
कृष्ण जन्मोत्सव में श्रद्धालुओं ने किया नृत्य
11 दिसंबर को कथा के दौरान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने हर्षोल्लास के साथ नृत्य किया। पंडाल में भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का ऐसा जीवंत चित्रण किया गया कि भक्त भावविभोर हो उठे। इस अवसर पर पूरा कथा स्थल झूम उठा और भक्तों ने "नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की" जैसे भजनों पर नृत्य कर आयोजन को और भी विशेष बना दिया।
संगीतमय कथा में भक्तों का जनसैलाब
12 दिसंबर को कथा के छठवें दिन संगीतमय भागवत कथा का विशेष आयोजन किया गया। पंडित राकेश शुक्ला जी ने भक्ति और ज्ञान का अद्भुत समन्वय प्रस्तुत किया, जिससे हर उम्र के भक्त कथा में सम्मिलित हुए। महिला, पुरुष और बच्चों ने भारी संख्या में उपस्थित होकर कथा का रसास्वादन किया। कथा स्थल पर भक्तों की भीड़ इस बात का प्रमाण थी कि आयोजन ने ग्रामवासियों के दिलों को छू लिया है।
व्यवस्था और सहयोग का सराहनीय योगदान
कथा आयोजन को सफल बनाने में स्थानीय ग्रामवासियों का महत्वपूर्ण योगदान है। पंडाल को रंगीन फूलों और दीयों से सजाया गया है, जो आयोजन की पवित्रता को और भी बढ़ा रहा है। कथा स्थल पर पानी, भोजन और बैठने की समुचित व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, युवाओं की टोली व्यवस्थाओं को सुचारू रखने में सक्रिय भूमिका निभा रही है।
ध्यान और साधना के विशेष पल
कथा के दौरान, महाराज जी ने भक्ति, धर्म और मानवता के मूल्यों पर ध्यान केंद्रित किया। कथा में गीता, रामायण और श्रीमद्भागवत के गूढ़ रहस्यों को सरल और सरस तरीके से समझाया गया। हर दिन कथा के अंत में आरती और प्रसाद वितरण किया जा रहा है।
15 दिसंबर को होगा पूर्णाहुति महोत्सव
कथा का समापन 15 दिसंबर को हवन, पूजन और विशाल भंडारे के साथ किया जाएगा। ग्राम छिंदिया के इस धार्मिक आयोजन ने न केवल ग्रामवासियों बल्कि आसपास के क्षेत्रों से भी श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित किया है।
ग्राम छिंदिया में आयोजित यह श्रीमद् भागवत कथा भक्ति, उल्लास और सामूहिक एकता का प्रतीक बन गई है।