आदानी माइंस में हादसा: जेसीबी ऑपरेटर की मौत से गुस्साए परिजनों ने किया आंदोलन, 50 लाख मुआवजे की मांग, 5 लाख पर समझौता; प्रशासन और माइंस पर उठे सवाल..


आदानी माइंस में हादसा: जेसीबी ऑपरेटर की मौत से गुस्साए परिजनों ने किया आंदोलन, 50 लाख मुआवजे की मांग, 5 लाख पर समझौता; प्रशासन और माइंस पर उठे सवाल..

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ब्यूरो रिपोर्ट
सूरजपुर, आंचलिक न्यूज। राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन की केते-परसा बासेन माइंस, जिसे आदानी माइंस के नाम से जाना जाता है, एक बार फिर बड़े हादसे की गवाह बनी। कोयला उत्खनन कार्य के दौरान हुई लापरवाही ने 22 वर्षीय जेसीबी ऑपरेटर दिनेश साहू की जान ले ली। यह हादसा 8 दिसंबर की रात हुआ, जब एक हाइड्रा वाहन चालक, जो शराब के नशे में था, ने लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाते हुए खड़ी जेसीबी को जोरदार टक्कर मारी। इस दुर्घटना में जेसीबी ऑपरेटर दिनेश साहू और एक अन्य मिस्त्री गंभीर रूप से घायल हो गए।

घायलों को तत्काल उदयपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान दिनेश साहू ने दम तोड़ दिया। वहीं, दूसरा घायल कर्मचारी, जिसकी पहचान अभी नहीं हो पाई है, को अंबिकापुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है।

माइंस के गेट पर शव के साथ प्रदर्शन 

घटना की सूचना मिलते ही 9 दिसंबर को मृतक के परिजन और ग्रामीणों ने आदानी माइंस के मुख्य गेट पर शव लेकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन का नेतृत्व "हमर उत्थान सेवा समिति" के अध्यक्ष और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने किया।
ग्रामीण 50 लाख रुपये मुआवजे और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग पर अड़े रहे। इस दौरान चार घंटे तक स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। प्रशासन की ओर से उदयपुर विकासखंड के तहसीलदार मौके पर पहुंचे, लेकिन वे माइंस के बचाव में खड़े दिखे।
माइंस प्रबंधन ने शुरू में 50 हजार रुपये मुआवजा देने की पेशकश की, जिससे प्रदर्शनकारी और भड़क गए। बाद में, माइंस ने 5 लाख रुपये की नकद राशि और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का आश्वासन दिया। इसके बाद परिजनों ने आंदोलन समाप्त किया और शव को लेकर अपने गांव लौट गए।

प्रशासन और माइंस पर सवाल..?

यह पहली बार नहीं है जब आदानी माइंस में इस तरह का हादसा हुआ है। क्षेत्र में लगातार हो रहे हादसों के बावजूद प्रशासन की निष्क्रियता और माइंस प्रबंधन की लापरवाही पर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि प्रशासन हर बार पीड़ित परिवारों के बजाय माइंस प्रबंधन का पक्ष लेता है।

परिजनों का आक्रोश और ग्रामीणों की मांग

ग्रामीणों और परिजनों का कहना है कि माइंस में सुरक्षा उपायों की कमी और प्रबंधन की लापरवाही के चलते ऐसे हादसे बार-बार हो रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि माइंस में सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू किया जाए और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

आंदोलन के बाद का माहौल

हादसे के बाद क्षेत्र में तनाव का माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन और माइंस प्रबंधन ने उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया, तो वे बड़े आंदोलन की राह पर जाएंगे।
यह घटना केवल एक व्यक्ति की मौत का मामला नहीं है, बल्कि यह आदानी माइंस में काम करने वाले सैकड़ों कर्मचारियों की सुरक्षा और उनके अधिकारों से जुड़ा बड़ा मुद्दा बन चुका है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन और माइंस प्रबंधन इस दिशा में क्या कदम उठाते हैं।

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