हाथी के हमले से बाल-बाल बची तीन लोगों की जान, इलाज और मुआवजे के लिए दर-दर भटक रहे पीड़ित परिवार, वन विभाग की लापरवाही पर ग्रामीणों का आक्रोश, प्रशासन से लगाई मदद की गुहार..


हाथी के हमले से बाल-बाल बची तीन लोगों की जान, इलाज और मुआवजे के लिए दर-दर भटक रहे पीड़ित परिवार, वन विभाग की लापरवाही पर ग्रामीणों का आक्रोश, प्रशासन से लगाई मदद की गुहार..

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ब्यूरो रिपोर्ट
सूरजपुर, आंचलिक न्यूज। बीते बुधवार की शाम करीब 7 बजे प्रतापपुर के धरमपुर सर्किल अंतर्गत ग्राम पंचायत कोटेया में हाथी के हमले से तीन लोग घायल हो गए। यह घटना उस समय हुई जब ग्रामीण अपने घर के सामने ट्रैक्टर में धान लोड कर रस्सी से बांध रहे थे। अचानक एक हाथी वहां आ धमका और उसने 52 वर्षीय देवराज राजवाड़े पिता स्व. मनसाय को सूंड से पकड़कर पटक दिया। देवराज किसी तरह ट्रॉली के नीचे घुसकर अपनी जान बचाने में सफल रहे।
हमले में 18 वर्षीय सुखन सिंह पिता भैयालाल और बंसलाल पिता देवराज को भी हाथी ने अपनी सूंड से मारा, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। तीनों लोग धीरे-धीरे सरकते हुए किसी तरह अपने घर में घुसकर जान बचाने में कामयाब हुए।

धान खाकर चला गया हाथी 

घटना के बाद हाथी ने ट्रैक्टर में लोड धान की बोरियों को छल्ली से खोलकर खाना शुरू कर दिया। उसने मौके पर ही एक बोरी धान खा ली और जब वन विभाग की हाथी प्रभारी गाड़ी सायरन बजाते हुए वहां पहुंची, तो हाथी एक बोरी धान के साथ जंगल की ओर भाग गया।

वन विभाग की घोर लापरवाही

घटना के बाद घायलों ने आरोप लगाया कि वन विभाग के कर्मचारियों ने न तो उनकी सुध ली, न ही उनकी स्थिति के बारे में कोई जानकारी जुटाई। घायल व्यक्ति तड़पते रहे, लेकिन विभाग का कोई कर्मचारी मदद के लिए आगे नहीं आया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि वन विभाग के कर्मचारी जंगल से हाथी को खदेड़कर गांव की ओर ले आए, जिसके कारण यह घटना हुई। इस लापरवाही के चलते ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।

इलाज के लिए भटक रहे गरीब परिवार

घायल व्यक्तियों ने बताया कि वन विभाग के कर्मचारियों ने सिर्फ औपचारिकता निभाई। घायलों ने किसी तरह धरमपुर सर्किल के कार्यालय पहुंचकर अपनी समस्या बताई। इसके बाद उप-स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक इलाज करके उन्हें वापस भेज दिया गया। आज तक वन विभाग या प्रशासन की ओर से न तो बेहतर इलाज की व्यवस्था की गई और न ही कोई मुआवजे का ऐलान हुआ।
घायलों की आर्थिक स्थिति खराब है, जिसके कारण वे किसी बड़े अस्पताल में इलाज कराने में असमर्थ हैं। वे चलने-फिरने और भोजन करने में असमर्थ हैं और दर्द से तड़प रहे हैं।

पीड़ित परिवार की जिला प्रशासन से गुहार 

घायल देवराज, सुखन सिंह और बंसलाल ने जिला प्रशासन से बेहतर इलाज और उचित मुआवजे की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते इलाज न कराया गया तो उनकी स्थिति और गंभीर हो सकती है।

ग्रामीणों में आक्रोश

इस घटना के बाद ग्रामीणों में वन विभाग की लापरवाही को लेकर भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि यदि समय रहते विभाग उचित कदम उठाता, तो यह घटना टाली जा सकती थी।

प्रशासन से उम्मीद

ग्रामीणों और पीड़ित परिवारों ने जिला प्रशासन से हाथी हमलों की समस्या का स्थायी समाधान निकालने और घायल परिवारों को हरसंभव मदद देने की अपील की है। ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन को वन्यजीवों के हमलों से बचाव के लिए ठोस योजना बनानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

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