तमोर पिंगला अभ्यारण्य में अवैध कटाई और भ्रष्टाचार पर सवाल, स्मरण पत्र से तेज हुई जांच की मांग, वन संरक्षण अधिनियम की अनदेखी पर कलेक्टर को सौंपा स्मरण पत्र, 15 दिन में कार्रवाई न होने पर उच्च न्यायालय जाने की चेतावनी..


तमोर पिंगला अभ्यारण्य में अवैध कटाई और भ्रष्टाचार पर सवाल, स्मरण पत्र से तेज हुई जांच की मांग, वन संरक्षण अधिनियम की अनदेखी पर कलेक्टर को सौंपा स्मरण पत्र, 15 दिन में कार्रवाई न होने पर उच्च न्यायालय जाने की चेतावनी..

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वन संरक्षण अधिनियम की अनदेखी: हजारों पेड़ों की कटाई और करोड़ों के घोटाले का आरोप 

संभागीय ब्यूरो 

सरगुजा, आंचलिक न्यूज। सूरजपुर जिले के तमोर पिंगला अभ्यारण्य में वन संरक्षण अधिनियम और पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन को लेकर गंभीर आरोप सामने आए हैं। इस संबंध में स्थानीय पर्यावरण संरक्षण कार्यकर्ताओं और जागरूक नागरिकों चंद्रिका कुशवाहा, राजेश गुप्ता, एवं अन्य ग्रामीणों द्वारा कलेक्टर, सूरजपुर को एक स्मरण पत्र सौंपा गया है। इस पत्र में वर्ष 2020 से 2024 के बीच हुए निर्माण कार्यों और हजारों हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटाई पर तत्काल जांच की मांग की गई है।

प्रमुख आरोप और संदर्भ बिंदु:

स्मरण पत्र में निम्नलिखित मुद्दों को उठाया गया है:

हरे-भरे पेड़ों की कटाई:

अभ्यारण्य के तमोर और पिंगला क्षेत्रों में बांध निर्माण और अन्य परियोजनाओं के तहत हजारों हरे-भरे पेड़ों की कटाई की गई। यह न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि वन संरक्षण अधिनियम, 1980 का भी उल्लंघन है।

भ्रष्टाचार के आरोप: 

निर्माण कार्यों में ठेकेदारों और संबंधित अधिकारियों पर स्वहित में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया गया है। अधिकारियों के निजी वाहनों और उपकरणों का उपयोग कर भारी अनियमितताएं की गई हैं, जो लोकसेवक आचरण नियमावली, 1965 का उल्लंघन है।

वन्यजीवों पर प्रभाव:

अनियोजित निर्माण कार्यों से वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास को गंभीर खतरा पहुंचा है। यह भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित वन्यजीव आवासों के लिए जोखिम पैदा करता है।

कैम्पा योजना में अनियमितताएं: 

कैम्पा योजना के तहत 57 नालों और अन्य निर्माण परियोजनाओं पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए। शिकायतों के अनुसार, इन कार्यों में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं।

मांगें और समाधान के सुझाव:

स्मरण पत्र में निम्नलिखित कार्यवाहियों की मांग की गई है:

अवैध कटाई और भ्रष्टाचार की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति का गठन।

दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई।

वन्यजीव और पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष योजना लागू करना।

कैम्पा योजना में हुई अनियमितताओं की स्वतंत्र एजेंसी से जांच।

शिकायतकर्ताओं को जांच प्रक्रिया का हिस्सा बनाना।

15 दिन का अल्टीमेटम:

आवेदन में स्पष्ट किया गया है कि यदि 15 दिनों के भीतर इस मामले में कार्रवाई नहीं होती है, तो आवेदक उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने के लिए बाध्य होंगे।

ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों का समर्थन: 

इस मुद्दे को लेकर स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों और ग्रामीणों में आक्रोश है। वे अभ्यारण्य क्षेत्र में वन्यजीवों और पर्यावरण के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।

अधिकारियों की प्रतिक्रिया:

इस संबंध में जिला प्रशासन की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। लेकिन स्मरण पत्र पर की गई शिकायतों ने प्रशासन को जांच करने और कार्रवाई करने के लिए बाध्य कर दिया है।

तमोर पिंगला अभ्यारण्य जैसी प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण की यह मांग न केवल पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्रशासन और समाज के लिए जिम्मेदारी का भी मुद्दा है।

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