बड़ी खबर: दवनकरा समिति में 1.54 लाख का फर्जीवाड़ा, लगातार खबर प्रकाशन के बाद समिति प्रबंधक निलंबित, अन्य समितियों पर भी गहराया संकट के बादल, सहकारी समितियों में अनियमितताओं का पर्दाफाश: 63 लाख के धान घोटाले की जांच तेज..


बड़ी खबर: दवनकरा समिति में 1.54 लाख का फर्जीवाड़ा, लगातार खबर प्रकाशन के बाद समिति प्रबंधक निलंबित, अन्य समितियों पर भी गहराया संकट के बादल, सहकारी समितियों में अनियमितताओं का पर्दाफाश: 63 लाख के धान घोटाले की जांच तेज..

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ब्यूरो रिपोर्ट 

सूरजपुर, आंचलिक न्यूज। अखबार में लगातार खबर प्रकाशन के बाद व किसानों के साथ हुई लाखों की फर्जीवाड़े को लेकर आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित, दवनकरा के प्रबंधक संतोष नाविक पर 1.54 लाख रुपये की धोखाधड़ी का आरोप साबित होने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया है। संतोष नाविक पर कृषक राजाराम कोडाकू के बैंक खाते से फर्जी तरीके से रकम निकालने का आरोप था, जिसकी पुष्टि के बाद यह कार्रवाई की गई। यह मामला अन्य सहकारी समितियों में चल रही अनियमितताओं को भी उजागर कर सकता है।

फर्जीवाड़े का खुलासा 

उप आयुक्त सहकारिता एवं उप पंजीयक, सूरजपुर के आदेश पर शिकायत की जांच की गई। जांच में पाया गया कि संतोष नाविक ने राजाराम के बैंक खाते से छह अलग-अलग किस्तों में कुल 1,54,500 रुपये फर्जी तरीके से आहरित किए। इस मामले में 20 नवंबर 2024 को थाना चंदौरा में भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

शिकायत के बाद, संतोष नाविक को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए:

09 दिसंबर 2024: पहला कारण बताओ सूचना पत्र।14 दिसंबर 2024: कारण बताओ स्मरण पत्र (पंजीकृत डाक एवं व्हाट्सएप से)। 16 दिसंबर 2024: दूसरा कारण बताओ स्मरण पत्र।

लेकिन संतोष नाविक ने किसी भी नोटिस का जवाब नहीं दिया। इसके बाद समिति के बोर्ड ने इसे गंभीर दुराचरण और धोखाधड़ी मानते हुए 01 जनवरी 2025 से संतोष नाविक को निलंबित करने का आदेश दिया।

अन्य समितियों में भी होगी जांच 

संतोष नाविक के मामले ने सहकारी समितियों में भ्रष्टाचार की गहराई को उजागर किया है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि अब अन्य सहकारी समितियों, जैसे चंदौरा, जगन्नाथपुर और प्रतापपुर में भी जांच की जाएगी। सूत्रों के अनुसार, यदि इन समितियों में भौतिक सत्यापन किया जाए, तो लाखों की हेराफेरी सामने आ सकती है।

स्थानीय किसानों ने इस मामले को लेकर प्रशासन पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि समितियों में भ्रष्टाचार और मनमानी से उनकी मेहनत की कमाई खतरे में पड़ गई है। किसानों ने अन्य समितियों में भी पारदर्शी जांच की मांग की है।

प्रशासन का बयान 

जिला सहकारिता विभाग ने स्पष्ट किया है कि सहकारी संस्थानों में पारदर्शिता और किसानों के हितों की रक्षा करना उनकी प्राथमिकता है। दोषी पाए जाने वाले किसी भी कर्मचारी पर सख्त कार्रवाई होगी।

संतोष नाविक का निलंबन सहकारी संस्थानों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस मामले में अन्य दोषियों पर कार्रवाई और सभी सहकारी समितियों में पारदर्शी व्यवस्था लागू करना, प्रशासन के लिए अगली चुनौती होगी।

"देर आए, दुरुस्त आए" की तर्ज पर यह कदम किसानों के अधिकारों की सुरक्षा और सहकारी संस्थानों में विश्वास बहाल करने में सहायक साबित हो सकता है।

यह वही समिति दवनकारा प्रबंधक है। जिनके ऊपर आज के प्रकाशित खबरों में 63 लख रुपए का धान गण का आरोप लगा है कलेक्टर सूरजपुर के दिशा निर्देश पर टीम बनाकर अधिकारियों ने समिति का निरीक्षण कर भौतिक सत्यापन किया जहां पर 2000 क्विंटल से अधिक धान खरीदी होने के बावजूद भी नहीं पाए गए जो सिर्फ कागजों में चढ़ गया। हमेशा विवादित कर प्रणाली के लिए जाने वाले समिति प्रबंधन पर कई बार निलंबन की कार्यवाही हो चुकी है।


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