शीर्षक- फौजी बलम
प्रीत का घट लिए बाट निहारे गांव में गोरी
आए नाहीं फौजी बलमा कैसे मैं खेलूं होरी
प्रेम तरंग मन उठे उमंग तन है लेवें अंगड़ाई
सौगंध इन चरणों की बनु मैं तोरी परछाई
आम्र मंजरी बौर बौराई फागुन बयार बहे पुरवइयां
महुआ पककर गदराई बिरहा तान छेड़े है कोयलियां
नित प्रतीक्षा में भरे भरे हैं मोरे दौ नयन
सजना तोरे कहां है सजनी पूछे हैं कक्ष शयन
मृदुल मधुर से अधर अधीर कासे मैं करूं बतिया
झर झर भाव बहें हैं ऐसै जैसे बहती सरिता नदियां
मैं भी जानू भारती के तुम लाल प्यारे
पर मेरा सिंदूर मेरी लाज पति तुम हो हमारे
कर जोड़ विनती मां से कर लो खातिर मोरी
प्यासी अंखियन को मिल जाए एक झलक बस तोरी
प्रीत का घट लिए बाट निहारे गांव की गोरी
आए नाहीं फौजी बलमा कैसे खेलूं मैं होरी
डा बीना सिहं रागी
भिलाई छत्तीसगढ़
6266338031