कमिश्नर सरगुजा ने दिए जांच के आदेश: डॉक्टर नृपेंद्र सिंह के खिलाफ गंभीर शिकायत, 15 दिन में मांगा तथ्यात्मक प्रतिवेदन, लोकसभा निर्वाचन राशि में ₹6.17 लाख का गबन, पदस्थापन आदेशों की अवहेलना — आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. डी.के. सोनी ने खोली परतें


कमिश्नर सरगुजा ने दिए जांच के आदेश: डॉक्टर नृपेंद्र सिंह के खिलाफ गंभीर शिकायत, 15 दिन में मांगा तथ्यात्मक प्रतिवेदन, लोकसभा निर्वाचन राशि में ₹6.17 लाख का गबन, पदस्थापन आदेशों की अवहेलना — आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. डी.के. सोनी ने खोली परतें

0

 


संभागीय ब्यूरो 

 सरगुजा, आंचलिक न्यूज | 29 मई 2025। सूरजपुर जिले के जनपद पंचायत ओडगी में पदस्थ अतिरिक्त उपसंचालक पशुपालन विभाग डॉ. नृपेंद्र सिंह को लेकर एक बड़ा प्रशासनिक मामला सामने आया है। इस संबंध में डॉ. डी.के. सोनी, अधिवक्ता एवं आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा दिनांक 13 मई 2025 को कमिश्नर सरगुजा संभाग को एक लिखित शिकायत सौंपी गई थी, जिसमें उन्होंने डॉ. नृपेंद्र सिंह को तत्काल उनके मूल विभाग पशु चिकित्सा में भेजने और उनके स्थान पर किसी योग्य अधिकारी की नियुक्ति की मांग की।

शिकायत में गंभीर आरोप लगाए गए हैं कि डॉ. सिंह ने अपने अस्थायी पदस्थापन के दौरान लोकसभा निर्वाचन 2024 हेतु आवंटित ₹6,17,500/- की राशि में गोलमाल और गबन किया, जिसकी पुष्टि कलेक्टर, जिला निर्वाचन अधिकारी सूरजपुर के दिनांक 03/01/2025 के पत्र द्वारा होती है। यह जांच पाँच सदस्यीय समिति द्वारा की गई थी, जिसमें गबन की स्पष्ट पुष्टि की गई।

शासन आदेशों का उल्लंघन: नियुक्ति में प्रक्रिया की अनदेखी 

यह भी सामने आया है कि डॉ. नृपेंद्र सिंह की पदस्थापना कार्यालय मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, छत्तीसगढ़ रायपुर के पत्र क्रमांक 418/स्था./लो.स.नि./2024 दिनांक 29/03/2024 के परिपालन में जिला पंचायत सूरजपुर के पत्र क्रमांक 784/स्था./जि.पं./2024 दिनांक 02/04/2024 के माध्यम से की गई थी। उन्हें प्रशासनिक दृष्टिकोण से अस्थायी रूप से प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत ओडगी नियुक्त किया गया था।

परंतु छत्तीसगढ़ शासन, आदिम जाति विकास विभाग रायपुर द्वारा दिनांक 11/04/2025 को जारी पत्र क्रमांक एफ 1-32/2025/25-1 के अनुसार, सहायक आयुक्त/मुख्य कार्यपालन अधिकारी का प्रभार अन्य विभागीय अधिकारियों को नहीं दिया जा सकता। यह आदेश स्पष्ट करता है कि डॉ. नृपेंद्र सिंह की पदस्थापना इस निर्देश के उल्लंघन में है।

जनविकास योजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव 

शिकायत में यह भी दर्शाया गया है कि चूंकि डॉ. सिंह का मूल कार्यक्षेत्र पशु चिकित्सा है, उन्हें जनपद पंचायत एवं ग्राम पंचायत स्तर पर चलने वाली योजनाओं की विधिवत जानकारी नहीं है। इसके चलते सरपंच, सचिव सहित स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्था ठप और दिशाहीन होती जा रही है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया: 15 दिन में मांगी रिपोर्ट 

कमिश्नर सरगुजा संभाग अंबिकापुर ने दिनांक 21/05/2025 को कलेक्टर एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सूरजपुर को पत्र जारी कर शिकायत में वर्णित बिंदुओं की तथ्यात्मक जांच कर 15 दिवस के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

यह आदेश सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 एवं भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (सरकारी पद पर रहते हुए सार्वजनिक धन का गबन), 420 (धोखाधड़ी) एवं 120B (षड्यंत्र) के अंतर्गत संभावित आपराधिक प्रकृति की ओर भी संकेत करता है, जो प्रशासनिक कार्रवाई के साथ-साथ न्यायिक कार्यवाही का भी आधार बन सकता है।

 एक अफसर और ढहती जिम्मेदारी 

डॉ. नृपेंद्र सिंह का मामला शासन प्रणाली में प्रशासनिक निर्णयों की अवहेलना, वित्तीय अनियमितता और जवाबदेही की कमी का जीवंत उदाहरण बनकर सामने आया है। अब जिम्मेदारी शासन की है कि वे शिकायत और जांच रिपोर्ट के आधार पर समय रहते निष्पक्ष कार्रवाई करें—अन्यथा यह लचर व्यवस्था और भी अफसरों को ‘दूसरे विभागों में मनमानी’ की खुली छूट दे सकती है।

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)