प्रस्तुतकर्ता: आंचलिक न्यूज. com
देवी गंगा
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भोजली रानी मईया
भोजली रानी।
राखिहव दुलार मईया
पीबो गोड के पानी।।
जौव के बीजवा मईया
जल जल सीचय।
रुक रुक रूप ह
अन्तस म खीचय।।
गाबो हमन जश तोरे
गोड ल पखारबो।
लईका सियान मिलके
तोला हमन मनाबों।।
तोरे रूप देवी हावय
देवी गंगा कयिथे।
गांव गांव बसेरा तोरे
भोजली म रहिथे।।
मया के मूरत मईया
खेती ल संवारबे।
धान के कोठी ल
तही ह राखिबे।।
तोरे दया म हमन
संगी अऊ संगवारी।
बदबो मितान घलव
हे भोजली रानी।।
प्रो डी पी कोरी
प्राचार्य
शासकीय महाविद्यालय बिश्रामपुर।।