मनरेगा योजना में गड़बड़ी: फॉरेस्ट लैंड पर स्वीकृत कार्य नए मार्ग पर बिना अनुमति स्थानांतरित, ग्रामीणों का आरोप: नियमों का उल्लंघन कर भारी मशीनों से काम, रोजगार से मजदूर वंचित.. देखें वीडियो


मनरेगा योजना में गड़बड़ी: फॉरेस्ट लैंड पर स्वीकृत कार्य नए मार्ग पर बिना अनुमति स्थानांतरित, ग्रामीणों का आरोप: नियमों का उल्लंघन कर भारी मशीनों से काम, रोजगार से मजदूर वंचित.. देखें वीडियो

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ब्यूरो रिपोर्ट 
सूरजपुर, आंचलिक न्यूज। प्रतापपुर जिले के ग्राम जज़ावल में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के तहत स्वीकृत गारगी से गडही मार्ग तक चल रहे मिट्टी मुरूम सह सड़क पुलिया निर्माण में भारी अनियमितताओं का मामला सामने आया है। परियोजना का कुल बजट 19 लाख 75 हजार रुपये है, जिसमें 14 लाख 63 हजार रुपये मजदूरी के लिए, 4 लाख 32 हजार रुपये सामग्री के लिए, और 1 लाख 15 हजार रुपये अन्य खर्चों के लिए निर्धारित किए गए हैं।

फॉरेस्ट लैंड में शुरू हुआ कार्य रुका

यह कार्य वर्ष 2023 में स्वीकृत हुआ था और ग्राम पंचायत जज़ावल द्वारा आरंभ किया गया। हालांकि, यह निर्माण वन भूमि (फॉरेस्ट लैंड) पर स्थित था, जिसके लिए वन विभाग से अनुमति नहीं ली गई थी। वन विभाग, घुई ने इस आधार पर कार्य को रोक दिया।

बिना स्वीकृति नए मार्ग पर स्थानांतरण 
वन विभाग द्वारा कार्य रुकवाने के बाद यह परियोजना चुनावी आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले एक नए मार्ग पर स्थानांतरित कर दी गई। यह नया मार्ग पूरी तरह से विवादास्पद है, क्योंकि यहां न तो मार्ग की स्वीकृति ली गई है और न ही पुलिया निर्माण की आवश्यकता है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह स्थानांतरण मनरेगा अधिकारियों और तकनीकी अधिकारियों के संरक्षण में किया गया, जिससे कार्य में पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो गए हैं।

भारी मशीनों का उपयोग और मजदूरों की उपेक्षा

मनरेगा के उद्देश्य के अनुसार कार्य में मजदूरों को रोजगार प्रदान करना आवश्यक है। लेकिन स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि इस परियोजना में भारी मशीनों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे मजदूरों को काम से वंचित किया गया है। यह न केवल योजना के नियमों का उल्लंघन है, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसरों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।

ग्रामीणों की मांग: जांच और कार्रवाई 

स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से इस मामले की तत्काल जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यदि कार्य फॉरेस्ट लैंड में स्वीकृत था और उसे रोका गया, तो उसे नए मार्ग पर स्थानांतरित करने के लिए आवश्यक अनुमति क्यों नहीं ली गई। ग्रामीणों ने इसे चुनावी लाभ के लिए की गई अनियमितता बताते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतजार 

इस गंभीर मामले ने प्रशासन और संबंधित अधिकारियों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। ग्रामीणों का आरोप है कि इस परियोजना में स्वीकृत बजट का दुरुपयोग किया जा रहा है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है।

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