प्रशासन की नाक के नीचे फल-फूल रहा अवैध गुड़ कारोबार, शक्कर कारखाने को डूबोने की साजिश..! करोड़ों का गोरखधंधा! सूरजपुर जिले में अफसरों की मिलीभगत से चल रही अवैध गुड़ फैक्ट्रियां, सरकार को भारी नुकसान!


प्रशासन की नाक के नीचे फल-फूल रहा अवैध गुड़ कारोबार, शक्कर कारखाने को डूबोने की साजिश..! करोड़ों का गोरखधंधा! सूरजपुर जिले में अफसरों की मिलीभगत से चल रही अवैध गुड़ फैक्ट्रियां, सरकार को भारी नुकसान!

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ब्यूरो रिपोर्ट 

सूरजपुर, आंचलिक न्यूज। जहां एक ओर मां महामाया शक्कर कारखाना निजीकरण के कगार पर खड़ा है, वहीं दूसरी ओर जिले में अवैध खांडसारी गुड़ फैक्ट्रियों का धंधा पूरे जोर-शोर से फल-फूल रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि प्रशासन को सब कुछ मालूम होने के बावजूद इस गोरखधंधे पर कोई लगाम नहीं लगाई जा रही है।

सूत्रों की मानें तो यह अवैध कारोबार किसी छोटे-मोटे गिरोह का काम नहीं, बल्कि इसमें प्रशासनिक अधिकारियों और स्थानीय नेताओं की मिलीभगत से हर महीने करोड़ों का काला खेल खेला जा रहा है। सरकार को इस अवैध कारोबार से हजारों करोड़ का नुकसान हो रहा है, जबकि गन्ना किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है।

गन्ना शक्कर कारखाने की बजाय अवैध फैक्ट्रियों में पहुंच रहा! 

सूरजपुर जिले के 50 से ज्यादा स्थानों पर प्रशासन की नाक के नीचे अवैध खांडसारी उद्योग संचालित हो रहे हैं। प्रतापपुर विकासखंड के पंछी दाढ़, तुलसी, मोहनपुर, बोझा, चाची, दुप्पी, गोटगावा, सीधमा, कल्याणपुर, सिलौटा जैसे इलाकों में बड़े पैमाने पर अवैध फैक्ट्रियां चल रही हैं।

इन फैक्ट्रियों में हर दिन हजारों ट्रैक्टर गन्ना लाया जाता है, जिसे शक्कर कारखाने में भेजने के बजाय अवैध रूप से गुड़ बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद तैयार माल को अन्य राज्यों में तस्करी कर दिया जाता है।

आश्चर्य की बात यह है कि इतने बड़े पैमाने पर चल रहे इस कारोबार पर अब तक किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। यह साबित करता है कि बिना अधिकारियों की मिलीभगत के इतनी बड़ी गड़बड़ी संभव ही नहीं है।

शक्कर कारखाने को हो रहा भारी नुकसान, साजिश या लापरवाही? 

सरगुजा संभाग का मां महामाया शक्कर कारखाना जो कभी पूरे छत्तीसगढ़ में अपनी बेहतरीन गुणवत्ता और मिठास के लिए प्रसिद्ध था, आज सरकारी लापरवाही और गन्ना माफिया के गठजोड़ की वजह से बंद होने की कगार पर है।

गन्ने का उत्पादन तो बढ़ा है, लेकिन शक्कर कारखाने तक गन्ना नहीं पहुंच पा रहा है, जिससे कारखाने का उत्पादन औसत से भी कम हो गया है। अवैध फैक्ट्रियों की वजह से कारखाना घाटे में चला गया है और अब इसे निजी हाथों में बेचने की तैयारी की जा रही है।

प्रशासन की अनदेखी या मिलीभगत?

जिले में कलेक्टर के स्पष्ट आदेश के बावजूद इन अवैध खांडसारी फैक्ट्रियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। हर महीने लाखों रुपये की रिश्वत और कमीशनखोरी की वजह से यह कारोबार प्रशासन की नाक के नीचे फल-फूल रहा है।

प्रशासनिक लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब मीडिया ने इस गोरखधंधे को उजागर किया, तभी अधिकारियों की आंखें खुलीं और वे छापेमारी की बातें करने लगे।

अधिकारियों के बयान – अब होगी कार्रवाई?

मां महामाया शक्कर कारखाने के एमडी आकाशदीप पात्रो ने कहा कि,
"हमने कई बार अधिकारियों को इस गोरखधंधे की जानकारी दी है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अब हम जल्द ही कलेक्टर सूरजपुर से मिलकर टीम गठित करने की अनुशंसा करेंगे और अवैध गुड़ कारोबारियों पर छापेमारी की जाएगी।"

वहीं, एसडीएम ललिता भगत ने कहा कि,
"अवैध खांडसारी फैक्ट्रियों के खिलाफ जल्द ही विशेष टीम गठित की जाएगी और छापा मारकर इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"

अब सवाल यह है – क्या वाकई कार्रवाई होगी?

प्रशासन ने भले ही बयान जारी कर दिया हो, लेकिन यह पहली बार नहीं है जब इस मुद्दे को उठाया गया है। पहले भी इस अवैध कारोबार की खबरें आती रही हैं, लेकिन हर बार मामला फाइलों में दबा दिया जाता है।

अब देखना यह है कि –

1. क्या प्रशासन वाकई कार्रवाई करेगा या यह सिर्फ बयानबाजी तक सीमित रहेगा?

2. क्या जिम्मेदार अधिकारियों और नेताओं पर कोई सख्त कदम उठाया जाएगा?

3. क्या मां महामाया शक्कर कारखाना दोबारा अपने गौरवशाली दिनों में लौट पाएगा?

अगर जल्द ही अवैध गुड़ फैक्ट्रियों पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो न केवल सरकार को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ेगा, बल्कि हजारों गन्ना किसानों का भविष्य भी खतरे में पड़ जाएगा।

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