बड़ी खबर: आदिवासी समाज के हस्तक्षेप से दुराचारी शिक्षक पंकज कुमार राय को भेजा गया जेल, समाज की एकजुटता से मिली जीत, शिक्षा संस्थान में शर्मनाक कृत्य: सूरजपुर में शिक्षक की घिनौनी हरकत का हुआ पर्दाफाश..


बड़ी खबर: आदिवासी समाज के हस्तक्षेप से दुराचारी शिक्षक पंकज कुमार राय को भेजा गया जेल, समाज की एकजुटता से मिली जीत, शिक्षा संस्थान में शर्मनाक कृत्य: सूरजपुर में शिक्षक की घिनौनी हरकत का हुआ पर्दाफाश..

0

 ब्यूरो रिपोर्ट 

सूरजपुर, आंचलिक न्यूज। हायर सेकेंडरी स्कूल भटगांव में कार्यरत एक आदिवासी विधवा महिला के साथ दुष्कर्म का प्रयास करने वाले शिक्षक एल. बी. पंकज कुमार राय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी (रूढजनय परंपरा पर आधारित) समाज जिला सूरजपुर के हस्तक्षेप से संभव हो पाई।

घटना का विवरण

दिनांक 20 मार्च 2025 को स्कूल में भृत्य के पद पर कार्यरत पीड़िता को षड्यंत्र के तहत कम्प्यूटर रूम में बुलाया गया। आरोपी शिक्षक पंकज कुमार राय ने पीड़िता को दबोचते हुए उसके निजी अंगों को छूने की कोशिश की और उसका शारीरिक शोषण करने का प्रयास किया। जब पीड़िता ने इसका विरोध किया, तो आरोपी ने उसे जान से मारने की धमकी भी दी।

डरी-सहमी महिला न्याय पाने की आस में पुलिस चौकी चेन्द्रा पहुंची, लेकिन चौकी के अधिकारियों ने उसकी शिकायत लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद महिला ने जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, जिला शिक्षा अधिकारी, विकासखंड शिक्षा अधिकारी और स्कूल के प्रिंसिपल को आवेदन दिया, लेकिन आरोपी शिक्षक के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इसके विपरीत, मामले को दबाने का प्रयास किया जाने लगा।

आदिवासी समाज का हस्तक्षेप और न्याय

जब पीड़िता ने छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज जिला सूरजपुर से न्याय की गुहार लगाई, तो समाज ने मामले को गंभीरता से लिया और प्रशासन पर दबाव बनाया। समाज के हस्तक्षेप के बाद 3 अप्रैल 2025 को अजाक थाना सूरजपुर ने आरोपी शिक्षक पंकज कुमार राय को गिरफ्तार कर एफआईआर दर्ज की और उसे जेल भेज दिया।

स्कूल प्रबंधन पर भी उठे सवाल 

गौरतलब है कि जब से वर्तमान प्रभारी प्रिंसिपल ने पदभार संभाला है, तब से स्कूल प्रबंधन पूरी तरह चरमरा गया है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इससे पहले स्कूल की व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही थी, लेकिन नए प्रभारी प्रिंसिपल के आने के बाद से स्थितियां बिगड़ने लगीं।

ग्रामीणों का विरोध और चेतावनी

ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रभारी प्रिंसिपल को तत्काल पद से हटाया जाए, अन्यथा वे व्यापक स्तर पर आंदोलन करेंगे। उन्होंने 'गूगल आंदोलन' करने की चेतावनी दी है, जिसके लिए शासन-प्रशासन पूरी तरह जिम्मेदार होगा।

इस पूरे प्रकरण ने यह स्पष्ट कर दिया है कि न्याय पाने के लिए समाज का संगठित होना कितना आवश्यक है। यदि आदिवासी समाज हस्तक्षेप न करता, तो संभवतः यह मामला भी अन्य मामलों की तरह दबा दिया जाता।

यह घटना पुलिस प्रशासन और शिक्षा विभाग के लचर रवैये को उजागर करती है। वहीं, आदिवासी समाज की एकजुटता ने साबित कर दिया कि जब समुदाय एक होकर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाता है, तो न्याय पाना संभव हो जाता है। अब देखना यह होगा कि शासन-प्रशासन इस घटना से कोई सबक लेता है या नहीं।

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)